पूरे देश से जुटेंगे किन्नर संत, पहली बार लगेगा प्रयागराज में किन्नरों का अखाड़ा

National

AryaTv : Lucknow

संगम नगरी में अगले साल लगने वाला कुंभ अब एक और कीर्तिमान रचने जा रहा है। पहली बार किन्नर अखाड़ा प्रयागराज के कुंभ में अपने पूर्ण अस्तित्व में विश्व के सामने आयेगा। संगम की रेती पर किन्नर संत भी धूनी रमाकर प्रभु भक्ति में लीन होंगे तो कथा प्रवचन के साथ यज्ञ प्रतिष्ठान को भी संपन्न कराएंगे। हालांकि इससे पहले 2016 में उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ में भी किन्नर अखाड़ा ने अखाड़ा परिषद से मान्यता न मिलने के बावजूद भी हिस्सा लिया था।

उसी दरमियान औपचारिक रूप से किन्नर अखाड़े का अस्तित्व भी सामने आया था। सिंहस्थ कुंभ में देश के मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े की तरह किन्नर अखाड़े की पेशवाई भी निकाली थी और शाही स्नान की परंपरा का निर्वाहन भी किया गया था। अब उसी क्रम में 2019 में प्रयागराज में लग रहे कुंभ के दौरान आधिकारिक तौर पर किन्नर अखाड़ा अपनी उपस्थिति दर्ज करायेगा।

जानिए क्या है कार्यक्रम

किन्नर अखाड़ा इस बार विभिन्न स्नान पर्वो पर शाही स्नान करेगा। जिसमें 15 जनवरी 2019 को मकर संक्रांति, 21 जनवरी को पूर्णिमा, 4 फरवरी को मौनी अमावस्या, 10 फरवरी को बसंत पंचमी, 19 फरवरी को माघी पूर्णिमा व 4 मार्च को महाशिवरात्रि पर स्नान होगा। किन्नर अखाड़ा का भूमिपूजन 20 नवंबर 2018 को होगा। जबकि देवत्व यात्रा 6 जनवरी 2019 को होगी। जानकारी देते हुए किन्नर अखाड़ा प्रभारी श्री महंत पवित्रा माई ने बताया कि प्रयाग में लग रहे कुंभ के दौरान किन्नर अखाड़ा द्वारा किन्नर महापुराण का लोकार्पण के तहत रामायण पाठ, भागवत पाठ, श्री विद्या टीचिंग, आध्यात्मिक वार्ता, सामूहिक चिकित्सा, आत्मा उपचार, किन्नर नेत्र शिक्षण कार्यशाला का आयोजन होगा । इसके अलावा किन्नर आर्ट विलेज का आयोजन भी किया जाएगा। जिसमें चित्र प्रदर्शनी, कविता, कला प्रदर्शन दृश्य कला, फिल्में, इतिहास, फोटोग्राफी, साहित्य, स्थापत्य कला कार्यशाला, नृत्य एवं संगीत, किन्नर सांस्कृतिक कला शिल्प कारी कलाकारी आदि शामिल होगा।

पूरे देश से जुड़ेंगे किन्नर

महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी जी महाराज ने बताया कि किन्नर अखाड़ा प्रयागराज के तत्वाधान में कुंभ मेले के दौरान पूरे देश से किन्नरों का यहां पर जमावड़ा होगा। प्रयागराज के कुंभ में मां पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना व अदृश्य सरस्वती की मिलन स्थल पर त्याग, श्रद्धा व समर्पण के साथ पूरे देश के किन्नर संन्यासी मोक्ष की आस लिये आ रहे हैं। किन्नर सिर्फ नाचने गाने व सिर्फ आशीर्वाद ही नहीं देते। वह विभिन्न कलाओं में पारंगत होते हैं। वह अपनी इस कला को भी जन जन तक पहुंचायेगे। उन्होंने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि समाज का दृष्टिकोण बदला है।