खाकी ने उठाया पीड़ितों को न्याय दिलाने का जिम्मा, जानें क्या है पूरा मामला

Gorakhpur Zone

गोरखपुर (www.arya-tv.com) पुलिस की जिम्मेदारी अब सिर्फ मुकदमा दर्ज करना, आरोपित को गिरफ्तार करना व आरोप पत्र को न्यायालय में दाखिल करने तक ही सीमित नहीं रहेगी। वह अब पीड़ित को न्याय दिलाकर ही दम लेगी। ऐसा संकल्प लिया है कि रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक जे. रविन्दर गौड ने।

उन्होंने रेंज के प्रत्येक जिले में कानून के चार जानकार सिपाहियों की एक टीम गठित की है। इस टीम को विभाग के अनुभवी लोगों द्वारा प्रशिक्षित किया है कि एक आरोपित को सजा दिलाने के लिए किन- किन साक्ष्यों की जरूरत होती है। न्यायालय में केस की स्थिति क्या है, इससे संबंधित विवेचक को अवगत कराएंगे और वह तब तक पीड़ित के संपर्क में बने रहेंगे, जब तक उसे न्याय नहीं मिल जाता है।

प्रत्येक पुलिसकर्मी करेंगे 25 मकदमों की पैरवी: इसमें से प्रत्येक पुलिस कर्मी को 25 मुकदमों के पैरवी की जिम्मेदारी दी गई है। अर्थात एक जिले में टीम कुल 100 मुकदमों की पैरवी करेगी। पुलिस विभाग का मानना है कि अपराध पर शिकंजा अपराधियों को सजा दिलाकर ही किया जा सकता है।

कई बार यह स्थिति होती है कि न्यायालय में सशक्त पैरवी के अभाव में आरोपित छूट जाता है और बाहर आकर वह फिर अपराध को बढ़ावा देता है। कई बार विवेचक समय से साक्ष्यों को न्यायालय में प्रस्तुत नहीं करा पाते हैं। पीड़ित मुकदमे से जुड़ी सारी बातें सरकारी अधिवक्ता काे बता नहीं पाता है। ऐसे में कानून के यह जानकार सिपाही मुकदमे की तारीख के दौरान उसके साथ रहकर उसकी मदद करेंगे।

इतना ही नहीं वह वादी के संपर्क में रहेंगे तो आरोपित उन पर दबाव नहीं बना सकेगा। वह गवाहों को नहीं तोड़ सकेगा। इसकी जानकारी मिलने पर सिपाही थाने से मदद भी ले सकेंगे। इन चारों पुलिस कर्मियों का एक दारोगा को नोडल बनाया गया है। वह ई-कोर्ट के माध्यम से मुकदमो की प्रगति की जानकारी से अधिकारियों को अवगत कराते रहेंगे।

डीआइजी जे रविन्दर गौड ने बताया कि पुलिस विभाग की इस पहल से अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सकेगा। अभी प्रथम चरण में हत्या, लूट, डकैती जैसे गंभीर मामलों को इसके तहत लिया गया है। बाद में अन्य मामलों पर भी ध्यान दिया जाएगा। जैसे एक मामले में आरोपित को सजा मिलेगी, सिपाही के पास दूसरे मुकदमे के पैरवी की जिम्मेदारी आ जाएगी। हमेशा उनके पास पैरवी के लिए बैलेंस में 25 मुकदमे रहेंगे। इससे पीड़ितों को जल्दी न्याय भी मिलेगा।