जितेंद्रानंद बोले-मंदिरों से 35 करोड़ को रोजगार मिला:हिंदुस्तान की इकोनॉमी मंदिरों पर निर्भर

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(www.arya-tv.com) “हिंदुस्तान की इकोनॉमी मंदिरों पर निर्भर है। पाकिस्तान में अगर मंदिर नहीं तोड़े जाते तो आटा इतना महंगा नहीं होता। मंदिरों से 35 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। यहीं से भूखे लोगों को भोजन मिलता है। इस बार राम नवमी पर दो लाख से ज्यादा लोगों ने एक दिन में केवल आठ घंटे में रामलला के दर्शन किए। काशी कॉरिडोर बनने के बाद वाराणसी में करोड़ों लोग आ रहे हैं। इससे वाराणसी के हर वर्ग के लोगों के साथ के साथ सरकार को भी फायदा हो रहा है।”

यह बात अयोध्या में शुक्रवार को अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कही। वह यहां श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के 85वें जन्मोत्सव कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश भर से संत-महंत भी आए थे।

 राम का मंदिर संपूर्ण संघर्षों का फल है
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, “राम मंदिर आंदोलन में बहुत से महापुरुषों का योगदान रहा। महंत रामचंद्र दास परमहंस और महंत नृत्यगोपाल दास में से कोई भी राम मंदिर आंदोलन से अलग हो गया होता तो क्या आज भव्य मंदिर बन रहा होता। राम का मंदिर सम्पूर्ण संघर्षों का फल है जिससे समूची मानवता का कल्याण होगा।”

चंपत राय बोले- दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा मंदिर
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, “रामलला का मंदिर 2 साल में पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा। दो दिन पहले ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के सामने बैठक हुई। सभी का विचार था कि जनवरी 2024 में भव्य मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा हो जाए। इस मंदिर में 5 साल की आयु के रामलला की 3 मूर्तियों का निर्माण हो रहा है।”चंपत राय ने कहा, “अलग-अलग कारीगरों से 3 जगहों पर रामलला की मूर्तियां बनाई जा रही हैं। भूतल पर रामलला, पहले तल पर राम दरबार और दूसरे तल को अभी केवल ऊंचाई की दृष्टि से बनाया जाना है। गर्भगृह के चारों ओर परकोटा जो बनाया जा रहा है। रामलला के चारों ओर सूर्य, गणपति, भगवती और महादेव के मंदिर बन रहे हैं। मंदिर के परकोटे में महर्षि वाल्मीकि, विश्वामित्र, वशिष्ठ आदि के मंदिर व निषादराज, अहिल्या और शबरी के मंदिर बनेंगे। कुबेर टीला पर जटायु का मंदिर बनना है।”