विश्व बाजार में भारतीय कालीनों की अलग पहचान, ये है पूरा मामला

Varanasi Zone

वाराणसी(www.arya-tv.com)  विदेशी बाजारों में भारतीय कालीन उत्पादों की भूख बढाने के लिए ब्रांडिंग की जरूरत है। कालीनों के बारे में जानकारी हो, इसके लिए पोस्टर, बैनर, होर्डिंग व मूवी के जरिये प्रचार-प्रसार पर जोर दिया जा रहा।

पिछले दिनों भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के अधिकारियों के साथ हुए वेबिनार में कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने विदेशों में प्रमोशन के लिये मिलने वाली पांच फीसद अनुदान राशि को बढ़ाकर 20 फीसद करने की मांग रखी है। अब इस पर सकारात्मक पहल भी होने लगी है। कालीन निर्यातकों ने सीईपीसी के इस पहल का स्वागत किया है।

विश्व बाजार में भारतीय कालीनों की अलग पहचान है लेकिन जिस तरह से मशीन मेड का प्रभाव बढ़ा है, वह भारतीय हैंडमेड कालीनों के लिए ठीक नहीं है। भारतीय कालीनों का वृहद स्तर पर प्रचार प्रसार जरूरी है। सरकार से हर संभव सहयोग की अपेक्षा है।

भारतीय कालीनों के प्रचार प्रसार के लिए पहले निर्यातकों का प्रतिनिधिमंडल भी विदेश जाता था, लेकिन कई दिनों से ब्रेक लगा है। अब हालात बदले हैं। विश्व के प्रमुख बाजारों में कालीन उत्पादों का जोरदार ढंग से प्रचार प्रसार होना जरूरी है। सरकार को अनुदान राशि में वृद्धि करनी चाहिए।

आज के दौर में उत्पाद के बाजार में आने से पहले ही कंपनियां प्रचार प्रसार में करोडों रुपये खर्च कर रही हैं। कालीनों का बाजार तो पहले से स्थापित है, इसे बस पुश करने की जरूरत है। परिषद ने स्वागत योग्य कदम उठाया है। उद्योग के विकास के लिए सरकार को अमल करना चाहिए।