(www.arya-tv.com) भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका गुरुवार को 21वीं सदी के लिए एक व्यापक और गहन द्विपक्षीय ड्रग नीति ढांचे की दिशा में काम करने के लिए हाथ मिलाया। इस बात की जानकारी बाइडन प्रशासन ने दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बातचीत पूरी होने के बाद दी है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के महानिदेशक सत्य नारायण प्रधान ने किया।अमेरिका के विशेष दूत ने कहा कि सिंथेटिक दवाओं के प्रसार से निपटने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। दोनों देश इस खतरे की चपेट में आ चुके हैं। अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने इस खतरे की व्यापकता को देखते हुए एक बैठक बुलाई थी।
तीन स्तंभों पर काम करेंगे दोनों देश
राष्ट्रीय औषधि नियंत्रण नीति के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा, “पिछले कुछ दिनों में हमने तीन स्तंभों पर काम किया है। एक मादक पदार्थों की रोकथाम और तस्करों और अवैध दवाओं के उत्पादकों के नेटवर्क को बाधित करना और दूसरा नशीली दवाओं की मांग में कमी और नुकसान-कमी पर काम करना है।” डॉ. गुप्ता ने कहा, “इसमें हम केवल यह नहीं देखेंगे कि नशे से पीड़ित लोगों की मदद कैसे करें, बल्कि सबसे पहले यह देखेंगे कि नशे की लत को कैसे रोकते हैं।
डॉ. गुप्ता के मुताबिक, तीसरा स्तंभ वास्तव में यह सुनिश्चित करना है कि एक फार्मास्युटिकल आपूर्ति श्रृंखला हो और फिर फार्मास्युटिकल उद्योग फल-फूल रहा हो। व्हाइट हाउस के एक बयान के मुताबिक, दो दिवसीय बैठक के दौरान, प्रतिनिधिमंडलों ने 21वीं सदी के लिए व्यापक और गहन द्विपक्षीय ड्रग नीति ढांचे की दिशा में काम करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त प्रतिबद्धता पर चर्चा की।
मीडिया बयान में कहा गया है कि इस ढांचे के तहत, दोनों देश सिंथेटिक दवाओं जैसे फेंटेनाइल और एम्फ़ैटेमिन-प्रकार के उत्तेजक पदार्थों और उनके पूर्ववर्तियों के अवैध उपयोग सहित अवैध दवाओं के उत्पादन और अंतर्राष्ट्रीय तस्करी को बाधित करने के लिए सहयोग का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं।