रायबरेली: पद की गरिमा भूले डीएम, सीएमओ को कहा-‘तुम्हारी खाल खींच लूंगा, जमीन में गाड़ दूंगा’

UP
  • रायबरेली के डीएम और सीएमओ के बीच कर्मचारी के अवकाश को लेकर विवाद हुआ
  • जिलाधिकारी ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए सीएमओ को सरेआम लताड़ा

www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश के रायबरेली में सीएमओ ने डीएम पर अभद्रता का आरोप लगाया है। आरोप है कि मीटिंग के दौरान डीएम ने सीएमओ को कहा कि ‘तुम्हारी खाल खींच लूंगा, जमीन में गाड़ दूंगा, गधा।’ सीएमओ का कहना है कि मीटिंग में ये बातें सुनकर मेरी तबीयत बिगड़ गई और मैं वहां से चला आया।

दरअसल, बीते शुक्रवार की शाम को डीएम वैभव श्रीवास्तव ने बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं और कोविड-19 की व्यवस्था को लेकर कैंप कार्यालय में जिले के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। मीटिंग में कोविड-19 से जुड़े अधिकतर अधिकारी और चिकित्साधिकारी मौजूद थे। सीएमओ डा. संजय शर्मा द्वारा स्वास्थ्य महानिदेशक को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि मीटिंग में कोविड-19 के अस्पतालों के भोजन व्यवस्था प्रभारी डॉ. मनोज शुक्ला की गैरमौजूदगी का मसला उठा। सीएमओ का कहना है कि डीएम को बताया गया कि डॉ. मनोज शुक्ला की पत्नी कैंसर रोग से ग्रस्त हैं। उनकी डायलिसिस होनी थी। फोन पर ही उन्हें पत्नी के इलाज के लिए जाने की इजाजत दे दी गई।

स्वास्थ्य महानिदेशक को लिखा पत्र
स्वास्थ्य महानिदेशक को लिखी चिट्ठी के मुताबिक सीएमओ का कहना है कि डॉ. मनोज शुक्ला की गैरहाजिरी की सूचना पर डीएम नाराज हो गए और गाली गलौज पर उतर आए। उन्होंने ‘गधा’ तक कह दिया। उनका आरोप है कि डीएम यहीं नहीं रुके। उन्होंने भरी मीटिंग में खाल तक खिंचवाने धमकी भी दे दी। पत्र में उन्होंने लिखा है कि डीएम की इस धमकी से उनकी तबीयत बिगड़ गई और वह मीटिंग बीच में ही छोड़कर चले आए।

आए दिन चिकित्साधिकारियों के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं
उनका यह भी आरोप है कि डीएम आए दिन चिकित्साधिकारियों से अपमान की भाषा बोलते हैं। उनके इस व्यवहार से कोरोना योद्धाओं का काम करना असंभव होता जा रहा है। शनिवार को सीएमओ का यह पत्र वायरल होने के बाद डीएम-सीएमओ के बीच विवाद चर्चा में आ गया। इसके बाद डैमेज कंट्रोल शुरू हुआ।

मामले को लेकर चिकित्सा संघ ने की बैठक
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने आपात बैठक कर पूरे प्रकरण की समीक्षा की। संघ ने शनिवार देर शाम को जारी अपने बयान में कहा है कि डीएम द्वारा कहे गए शब्द गाली की श्रेणी में नहीं आते हैं। संघ ने हस्तक्षेप कर डीएम-सीएमओ के बीच पनपे विवाद का पटाक्षेप कराने की कोशिश की थी।