काशी में यहां रावण के जन्मतिथि से होती है रामलीला की शुरुआत, अनोखी है मान्यता

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(www.arya-tv.com) वाराणसी के रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला का मंचन कल से शुरू होना है है.रामनगर की इस रामलीला का मंचन एक महीने तक होता है. अनंत चतुर्दशी यानी 28 सितंबर से इसकी शुरुआत होती है. मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन रावण का जन्म हुआ था.यह लीला पूरे एक महीने यानी 27 अक्टूबर तक चलेगी

वाराणसी के रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला का मंचन कल से शुरू होना है है.रामनगर की इस रामलीला का मंचन एक महीने तक होता है. अनंत चतुर्दशी यानी 28 सितंबर से इसकी शुरुआत होती है. मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन रावण का जन्म हुआ था.यह लीला पूरे एक महीने यानी 27 अक्टूबर तक चलेगी.सबसे खास बात ये है कि इस रामलीला को देखने हर रोज काशी नरेश आते है. महाराज अंनत नारायण सिंह पूरे शाही अंदाज में हाथी पर सवार होकर इस लीला का मंचन देखते हैं.इस लीला का इतिहास करीब 240 साल पुराना है. यूनिस्को ने भी इसे विश्व सांस्कृतिक विरासत माना है. 1783 में काशी नरेश उदित नारायण सिंह ने इसकी शुरुआत की थी.

शाम 5 बजे से इस लीला की शुरुआत होती है जो रात 9 बजे तक चलता है.इस लीला का मंचन गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस की चौपाई पर होता है. आधुनिकता के इस दौर में भी लीला का मंचन वैसे ही होता है, जैसा 239 साल पहले हुआ करता था. न लाइट का तामझाम और न ही स्टेज का झंझट. रामनगर के पांच किलोमीटर के क्षेत्र में ये लीला घूम-घूम कर होती है.

आज भी 226 साल पुराने स्वरूप में पेट्रोमैक्स की लाइट और मशाल की रोशनी में इस लीला का मंचन होता है.1830 में तत्कालीन राजा उदित नारायण सिंह ने इस रामलीला की शुरुआत की थी.जिसके बाद से यह लीला अनवरत चलती आ रही है.

वाराणसी के रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला को लेकर भक्तों का ऐसा मानना है कि यहां साक्षात प्रभु श्रीराम आते है. यही वजह है कि भक्त इस रामलीला का दीदार करने अपने काम काज को छोड़कर आतें है.