अल्पसंख्यकों को त्योहार मनाने में भी दिक्कत ;पाकिस्तान में मजहबी कट्टरता

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(www.arya-tv.com) पाकिस्तान में मजहबी कट्टरता इस कदर बढ़ती जा रही है कि अल्पसंख्यकों को त्योहार मनाने में भी दिक्कत आने लगी है। कराची की दो बेकरीज ने क्रिसमस केक पर ‘मैरी क्रिसमस’ लिखने से ही इनकार कर दिया। ये दोनों कराची ही नहीं पाकिस्तान की भी नामचीन बेकरीज मानी जाती हैं। जिस शख्स के साथ यह घटना हुई, उसने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर इसकी जानकारी दी। इसके बाद कई लोगों ने बेकरीज के बर्ताव पर सवाल उठाए हैं, लेकिन नया पाकिस्तान और मजहबी आजादी का वादा करने वाले इमरान खान और उनकी सरकार अब तक इस मामले पर चुप है।

क्या है मामला
घटना बुधवार की है। एक क्रिश्चियन व्यक्ति कराची और पाकिस्तान की मशहूर बेकरी डेलिजिया पहुंचा। उसने एक बड़ा केक खरीदा। केक खरीदने के बाद उस शख्स ने काउंटर पर मौजूद कर्मचारी से इस पर मैरी क्रिसमस लिखने को कहा। कर्मचारी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। कहा- मैनेजमेंट की तरफ से हमें ये कहा गया है कि किसी केक पर मैरी क्रिसमस न लिखा जाए।

अगर माइनोरिटीज से इतनी ही नफरत है तो….

इस क्रिश्चियन ने घर लौटकर सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा। कहा- अगर माइनोरिटीज से इतनी ही नफरत है तो फिर इन बेकरीज को क्रिसमस पर केक बनाना ही बंद कर देना चाहिए। मजहब की इतनी ही फिक्र है तो हम लोगों से पैसा भी नहीं कमाना चाहिए। एक अन्य महिला ने कराची की ही आंटी मुनव्वर बेकरी पर इसी तरह का आरोप लगाया।

2018 में भी इसी बेकरी ने क्रिसमस केक पर मैरी क्रिसमस लि
डिलिजिया बेकरी ने आरोपों पर कहा- इसे कंपनी की पॉलिसी नहीं मानना चाहिए। यह एक कर्मचारी की गलती है। मैरी क्रिसमस का मतलब किसी को हैप्पी क्रिसमस कहना है। कंपनी अब कुछ भी सफाई दे, लेकिन सच्चाई है कि तीन साल पहले यानी 2018 में भी इसी बेकरी ने क्रिसमस केक पर मैरी क्रिसमस लिखने से इनकार कर दिया था और तब कराची फूड डायरी नाम के सोशल मीडिया ग्रुप ने इस मसले को उठाया था।

सोशल मीडिया पर सवाल
इस घटना के बाद कई लोगों ने डिलिजिया और आंटी मुनव्वर बेकरी के रवैये पर सवाल उठाए। एक यूजर ने कहा- बेकरी को यह याद रखना चाहिए कि वो यूरोप और अमेरिका में बने प्रोडक्ट्स जैसे क्रीम का इस्तेमाल करती है। ये भी बंद कर दे। एक और यूजर ने कहा- इस तरह की घटिया हरकत करने वाली बेकरी का बायकॉट कीजिए। एक महिला यूजर ने कहा- क्या क्रिश्चियन कम पाकिस्तानी या कम देशभक्त हैं। यह तो भेदभाव है। डॉक्टर आनिया नाम की यूजर ने लिखा- पाकिस्तान की सबसे बड़ी दिक्कत मजहबी कट्टरता है। उम्मीद है इनमें सहनशीलता आएगी।