इस बारिश में कुछ नहीं किया तो हाल हो जाएंगे और अधिक बदतर : गर्वित द्वारा जन आंदोलन

Lucknow

नवी मुंबई। ग्रामीण आदिवासी रिसर्च एंड वैदिक इनोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित द्वारा समय-समय पर सनातन और पर्यावरण पर सर्वे किया जाता है। वर्तमान में किए सर्वेक्षण के अनुसार यदि मानव ने पर्यावरण को बचाने का प्रयास नहीं किया तो उसको पानी जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझने के साथ तिल तिलकर बद से बदतर जीवन जीने के लिए तैयार रहना होगा। इस वर्ष प्रकृति ने अपना रंग और ढंग दिखाना आरंभ कर दिया है और यदि हम नहीं सुधरे तो आगे क्या होगा यह आप स्वयं सोंच सकते हैं।

वर्तमान में कुछ भारतीय शहरों में बेमौसम बरसात के साथ दर्ज अधिकतम तापमान चौकानेवाला है। पर्यावरण के बिगड़ते मिज़ाज में लखनऊ 47 डिग्री, दिल्ली 47 डिग्री,आगरा 45 डिग्री, नागपुर 49 डिग्री, कोटा 48 डिग्री, हैदराबाद 45 डिग्री, पुणे 42 डिग्री,‌ अहमदाबाद 46 डिग्री, मुंबई 42 डिग्री, नासिक 40 डिग्री, बेंगलुरु 40 डिग्री, चेन्नई 45 डिग्री, राजकोट 45 डिग्री तापमान का रिकॉर्ड बना चुके हैं और यह आगे भी जा सकता है।

यदि हम इस बारिश में छोटा-मोटा योगदान भी न दे सके तो अगले वर्ष ये शहर 50 डिग्री को पार कर जाएंगे। यहां तक ​​कि एसी या पंखा भी हमें गर्मी से नहीं बचा पाएगा। एयर कंडीशन के लिए आपको बिजली चाहिए और उसकी आपूर्ति की भी एक सीमा होती है।

सरकार तो विकास के लिए कटिबद्ध है और यह उसका पहला काम है लेकिन नागरिकों का भी तो कुछ कर्तव्य होता है क्या वे केवल देश पर बोझ बनकर संसाधन को नष्ट करने के लिए होते हैं। इस पर हमें विचार करना होगा। हद तो यह हो गई जब पाकिस्तान में एक मौलाना के कहने पर धर्म के नाम पर लोग लगाए गए पेड़ों को उखाड़ रहे थे। यह क्लिप वायरल हो रहा है।

यह भी सही है पिछले 10 वर्षों में सड़क, राजमार्ग को चौड़ा करने और निवास बनाने के लिए के लिए पेड़ काटे गए। लेकिन सरकार के न्यायालयों आदेश के बावजूद भ्रष्टाचार के कारण बिल्डर्स के लालच के कारण या जनता द्वारा पेड़ नहीं लगाए गए।

अब प्रश्न है पूरे देश को ठंडा कैसे बनाया जाए ? इस पर गर्वित के अध्यक्ष पर्यावरण विद् सनातन चिंतक विपुल लखनवी के अनुसार पेड़ लगाने के लिए सरकार का इंतज़ार न करें। बीज बोने या पेड़ लगाने में ज़्यादा खर्च नहीं है। शतावरी, बेल, पीपल, तुलसी, आम, नींबू, जामुन, नीम, सीताफल, कटहल आदि के बीज इकट्ठा करें। नहीं तो आम खाने के बाद उन बीजों को कचरे में न फेंक कर किसी खाली जगह पर बो दें। बरसात के मौसम में तो पानी देने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी हां आरंभ में ध्यान देना पड़ेगा।

आइए इसे राष्ट्रीय आंदोलन बनाएं और पूरे भारत में 100 करोड़ पेड़ लगाएं। तापमान को 50 डिग्री पार करने से रोकना चाहिए। क्योंकि तापमान बढ़ने से गेहूं चावल जैसे अनाजों की फसल की उपज भी कम हो जाती है। अब या तो पर्यावरण बचाएं नहीं तो भूखे भी मरने के लिए तैयार रहें।

विपुल लखनवी जी के अनुसार पूजापाठ कथा इत्यादि के पश्चात प्रसाद में लोगों को पौधे बांटे। विभिन्न स्कूलों में सोसाइटी में और कहीं पर भी जन जागरूकता लाने के लिए वृक्षारोपण अभियान चलाएं। भारत की 140 करोड़ की आबादी में यदि 100 करोड़ लोग भी सिर्फ एक-एक बीज भी बो दें तो आने वाला भविष्य सुनहरा हो सकता है।

इसके अतिरिक्त अनावश्यक रूप से हरे एक कचरे को बर्बाद न होने दें किसी भी पुराने पात्र में डालकर उसकी खाद बना ले और किसी भी पेड़ में डाल दें। आइए हम एक जन अभियान आरंभ करें। गर्वित आपकी हर प्रकार से तकनीकी सहायता करने के लिए संकल्पवान है।