(www.arya-tv.com) 21 साल का नौजवान जो अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University America) में पढ़ाई कर रहा था। उसके पास अचानक एक दिन मां का फोन आता है कि तुम्हारे पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे। घर वापस आ जाओ। अचानक सामने खड़ी हुई इस मुसीबत के बाद भी वह नौजवान घबराया नहीं। पिता के द्वारा पीछे छोड़ी गई कंपनी की कमान को अपने हाथ में लिया। और देखते ही देखते दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हो गया। हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े दानवीरों में से एक आईटी कंपनी विप्रो (Wipro) के संस्थापक अजीम प्रेमजी (Azim Premji Story) की, जिनका आज 77वां जन्मदिन है। आइए जानते हैं शून्य से शिखर तक पहुंचने का उनका सफर कैसा रहा।
दादा चावल के व्यापारी थे।
अपने 75वें जन्मदिन पर अपनी कहानी साझा करते हुए अजीम प्रेमजी (Happy Birthday Azim Premji) बताते हैं कि उनके दादा चावल के व्यापार से जुड़े थे। तब के दौर में उनकी साप्ताहिक आमदनी 2 रुपये थी। 1945 में उनके दादा की मौत के बाद अजीम प्रेमजी के पिता मोहम्मद हुसैन हसन प्रेमजी 21 साल की उम्र में कंपनी को सम्भालते हैं।
जिन्ना ने पाकिस्तान आने का दिया ऑफर
अजीम प्रेमजी के पिता ने वेस्टर्न वेजीटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड (Western Indian Vegetable Limited) नाम से एक कंपनी शुरू की। इस कंपनी के जरिए वो वानस्पति तेल के कारोबार में उतरे। कंपनी के दो साल भी पूरे नहीं हुए कि भारत के दो टुकड़े हो गए। अजीम प्रेमजी के पिता को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तरफ से बुलावा आया। लेकिन उन्हें इस ऑफर को नकार कर भारत में रुकने का फैसला किया। 1966 अजीम प्रेमजी पिता की मौत 51 साल की उम्र में हो जाती है। तब अजीम प्रेमजी पढ़ाई बीच में छोड़कर कंपनी की कमान अपने हाथ में लेते हैं। और परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने का फैसला करते हैं।