100वें संकट मोचन संगीत समारोह में तलत अजीज की गजलों पर मुग्ध हुए हनुमान भक्त

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(www.arya-tv.com) 100वें संकट मोचन संगीत समारोह की दूसरी रात तलत अजीज की गजलों ने मंदिर मे रूमानियत माहौल बना दिया। ‘मोहब्बत करने वाले कम न होंगे, तेरी महफ़िल में हम नहीं होंगे’, ‘महकी जो रातरानी तेरी याद आई’ से शुरू हुआ गजलों का सफर ‘जो तेरा गम न हो जिंदगी क्या है’, ‘छेड़ दी है आज बात फूलों की, ‘रात है या बारात फूलों’ तक पहुंचा। हनुमान भक्त पूरी रात इन गजलों को सुन भाव-विभोर होते दिखे।

इससे पहले संगीत समारोह की दूसरी रात की पहली प्रस्तुति में पंडित शिवमणि के ड्रमनाद का जादू रहा। यूपी, बंगाल, गुजरात, केरल और पंजाब के खास रिदम पर श्रोताओं ने जमकर लुत्फ उठाया। पंडित शिवमणि के इ्रस्ट्रूमेंट्स में ड्रम्स, घंटी, जैंबे, किचन की थाली और चिमटा ने म्यूजिक का स्वाद ही बदल दिया। पंडित शिवमणि ने 7 से 12 मात्राओं का लय भी सुनाई। मैंडोलिन पर उनके साथ पंडित यू राजेश ने भी ताल से ताल मिलाया।

कर्नाटक शैली में हुआ बांसुरी वादन

भरतनाट्यम में शिव, हनुमान, कृष्ण और मां दुर्गा आधारित भाव-भंगिमाओं की प्रस्तुति हुई। रामपुर घराने के अरमान खान और अकरम ने बागेश्री राग छेड़ी। चेन्नई से आए पंडित शशांक सुब्रमण्यम ने कर्नाटक शैली में बांसुरी वादन किया तो, मंदिर का कोना-कोना भगवान कृष्ण और राधा की भक्ति में डूब गया। उन्होंने राग बाणेश्वरी में आलाप और झाला का प्रयोग किया। राग जोग और खमाज की तर्ज पर बजे इस राग का लोगों ने खूब आनंद उठाया। तबले पर मुंबई के अनुव्रत चटर्जी और हरिहरन सुंदररामन ने दमदार संगत की।

भज रे हनुमंतम्’ बंदिश में डूबे भक्त

बेंगलुरु के वयोवृद्ध गायक तिरुमलै श्रीनिवास ने श्रीराम स्तुति, ‘श्रीरामचंद्र भावयामी’, ‘भज रे हनुमंतम्’ बंदिश राग गाकर राम और हनुमान के संबंधों को बयां किया। इन गीतों को लोगों को जगाकर भक्ति भाव में पिरोए रखा। वहीं, ‘संकट मोचन श्रीहनुमान भक्त तुलसीदास पूजित’ के गायन ने मंदिर को अध्यात्म की ऊर्जा से भर दिया। उन्होंने कर्नाटकी गायन पद्धति के अनुसार राग कामवर्द्धनी भी प्रस्तुत की। अंत में श्रीनिवास ने राग किरवानी में तुलसीकृत रचना ‘निराकार ओंकार सुनाया। मृदंगम पर अन्नूर दत्तात्रेय शर्मा, वायलिन पर विदुषी ज्योत्सना मंजुनाथ तथा मोरसिंग(मुरचंग) पर तिरुमलै गोपी श्रवण ने उनकी संगत की।