सीएम आवास में गूंजी गुरुबाणी, जानिए सिख परंपरा के बारे में क्या बोले सीएम योगी

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लखनऊ (www.arya-tv.com) साहिबजादा दिवस पर सोमवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर गुरबाणी गूंजी। साहिब श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज जी के चार साहिबजादों एवं माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित साहिबजादा दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुबाणी कीर्तन में सम्मिलित हुए।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने इससे पहले अपने सरकारी आवास पर श्री गुरु ग्रंथ साहब की अगवानी की। इससे पहले भी सीएम के आवास पर श्री गुरु नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। सीएम के सरकारी आवास पर आज के कार्यक्रम में डिप्टी सीएम डा. दिनेश शर्मा, राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तथा लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश और दुनिया में सिख कौम अपनी पुरुषार्थ के लिए जाना जाता है, लेकिन भारत को गुलाम बनाने की मंशा और भारत को इस्लाम में बदलने की मंशा से जो आए थे, आज उनका नाम और निशान मिट गया है। भारत की गुरू परंपरा सामान्य परंपरा नहीं एक दिव्य परंपरा है।

उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने इस अवसर पर मेरा पहला चुनाव था और मैं बहुत हताश और परेशान था। मैंने चुनाव में पैसा नहीं खर्च नहीं किया था और विपक्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रहा था। चुनाव से पहले मैं गुरुद्वारे पहुंचा और माथा टेका, जिससे मुझे नई ऊर्जा मिली और चुनाव भी जीता।

योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य में सबका साथ सबका विकास के संकल्प और भाव के साथ ही धार्मिक सद्भाव की ओर भी लगातार कदम बढ़ा रही है। इसी के तहत सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में साहिबजादा दिवस मनाया गया। साहेबजादा दिवस मनाने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य बन गया है। इस मौके पर सीएम आवास पर गुरबानी भी गूंजी। मुख्यमंत्री आवास पर होने वाले गुरबानी कीर्तन में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ उनकी सरकार के अन्य मंत्री और गणमान्यजन शामिल थे।

क्यों मनाया जाता है साहिबजादा दिवस

गुरु गोबिंद सिंह के दो साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को 26 दिसंबर 1704 में इस्लाम धर्म कबूल न करने पर सरहिंद के नवाब ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया। साहिबजादों की शहादत धर्म को बचाने के लिए की गई। फतेहगढ़ साहिब मे गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों को दीवार में सिर्फ इसलिए चिनवा दिया गया कि उन्होंने अपना धर्म छोड़कर इस्लाम धर्म नहीं अपनाया। सरहिंद पर वो पुण्य भूमि थी जहां कण-कण से आवाज आती थी कि ‘सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं’। गुरु गोविंद सिंह जी के चार पुत्रों अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत की याद में यह दिवस मनाया जाता है।