बिकरू कांड के आरोपियों की संपत्ति का पता लगाने में जुटा शासन, प्रदेशा के हर जिलों के डीएम से मांगी गई रिपोर्ट

Kanpur Zone

(www.arya-tv.com) बिकरू कांड के आरोपितों के खिलाफ शासन और सख्ती करने जा रहा है। जिन 30 आरोपितों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है, अब उनकी चल व अचल संपत्ति तलाशी जा रही है। अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त की ओर से प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा गया है कि वे देखें कि कहीं उनके जिले में तो इन आरोपितों के नाम कोई चल या अचल संपत्ति तो नहीं है।

दो जुलाई 2020 को गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने उसके गांव बिकरू पहुंची पुलिस टीम पर विकास और उसके गुर्गों ने हमला कर सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। घटना के बाद पुलिस ने करीब 36 आरोपितों को चिह्नित किया, जिसमें छह एनकाउंटर में मारे गए। शेष जेल में हैं। इनमें दो पुलिसकर्मी भी हैं, जिन्हें विकास दुबे का मददगार माना गया है। पुलिस ने इस मामले में पिछले वर्ष 24 अक्टूबर को 30 आरोपितों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था।

शासन चाहता है कि गैंगस्टर एक्ट में आरोपित सभी आरोपितों के खिलाफ एक्ट की धारा 14-ए के तहत कार्रवाई की जाए और उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाए। इस संबंध में अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त अनिल कुमार यादव की ओर से आरोपितों के नाम चल-अचल संपत्तियां चिह्नित करने के लिए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा गया है। हालांकि, आरोपितों में विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी के खिलाफ पहले ही संपत्ति जब्तीकरण की कार्रवाई हो चुकी है।

इनके खिलाफ दर्ज हुआ था गैंगस्टर का मुकदमा
धर्मेंद्र उर्फ धीरू, श्यामू बाजपेयी, छोटू शुक्ला उर्फ अखिलेश, राहुल पाल, जहान सिंह, दयाशंकर अग्निहोत्री, शशिकांत पांडये, शिव तिवारी, विष्णु पाल उर्फ जिलेदार सिंह, राम सिंह यादव, रामू बाजपेई, गोपाल सैनी, उमाकांत उर्फ गुड्डन, शिवम दुबे, बाल गोविंद, संजय दुबे, सुरेश वर्मा, अरविंद त्रिवेदी उर्फ गुड्डन, शिवम दुबे उर्फ दलाल, धीरज उर्फ धीरू, मनीष उर्फ बीरू, गोविंद सैनी, रमेश चंद्र यादव, नन्हू यादव, बबलू मुसलमान, राजेंद्र कुमार, सोनू उर्फ सुशील तिवारी, अखिलेश दीक्षित, जयकांत बाजपेयी, प्रशांत शुक्ला उर्फ डब्बू।

संपत्ति जब्तीकरण से बच जाएंगे अधिकतर आरोपित : गैंगस्टर के नियमों के तहत जब पहला मुकदमा दर्ज होता है, उसके बाद आरोपित द्वारा अर्जित की गई संपत्ति की जांच होती है। जो भी संपत्ति अवैध कमाई से अर्जित की गई प्रतीत होती है, उसे जिला प्रशासन जब्त कर लेता है। बिकरू कांड में अधिकतर आरोपितों के खिलाफ पहली बार मुकदमा दर्ज हुआ है और इसके बाद उनके द्वारा कोई संपत्ति अर्जित नहीं की गई। ऐसे में शासन क्या रणनीति अपनाता है, यह देखना बड़ी बात होगी।