मंदिर ही नहीं पौधों का संग्रहालय भी है गोरक्षपीठ, जानिए कितने ज्यादा है पेड़-पौधे

Gorakhpur Zone

गोरखपुर (www.arya-tv.com) बाबा गोरखनाथ के दर्शन के लिए देश भर के श्रद्धालु आते हैं और दर्शन-पूजन के बाद परिसर में घूम कर चले जाते हैं। उन्हें यह पता भी नहीं होता कि उन्होंने केवल अपनी आस्था को ही नहीं पुष्ट किया है बल्कि वनस्पतियों के ऐसे संसार को भी देखा है, जिसके लिए पेड़-पौधों के गुणों के पारखी और शौकीन देश में कहीं भी चले जाते हैं।

ऐसा मंदिर की इस दृष्टि से पहचान न हो पाने की वजह से होता है। यह पहचान देने की कोशिश में है गोरखपुर के युवा वनस्पति शास्त्री डा. शोभित श्रीवास्तव। उन्होंने मंदिर परिसर में 100 से अधिक ऐसे पेड़-पौधों की पहचान की है, जो आमतौर पर एक साथ नहीं मिलते। इनमें कई दुर्लभ और औषधीय पौधे भी शामिल हैं। इस आधार पर वह मंदिर परिसर को वनस्पतियों का संग्रहालय घोषित कर रहे हैं। मंदिर प्रबंधन भी इसपर मुहर लगा रहा है।

बकौल डा. शोभित वनस्पति विज्ञान का छात्र होने की वजह से उन्हें वनस्पतियों से खास दिलचस्पी है। ऐसे में जहां भी वनस्पतियां अधिक होती हैं, वहां समय गुजारना उन्हें अच्छा लगता है। चूंकि गोरखनाथ मंदिर परिसर वनस्पतियों से भरा हुआ है, ऐसे में जब अवसर मिलता है, वह मंदिर में जाने से नहीं चूकते। जब हर बार जाने पर उन्हें कुछ नए पौधे दिखे तो उन्होंने उनकी सूची बनानी शुरू कर दी। थोड़े प्रयास में ही वह सूची 100 से अधिक पौधों की हो गई है।

शोभित अब मंदिर प्रबंधन से अनुमति लेकर उन पेड़-पौधों की एक पुस्तिका तैयार करने की तैयारी हैं, जिसमें उनकी प्रजाति से लेकर गुणों की संपूर्ण जानकारी होगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि वहां लगे औषधीय पौधों का व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं होता। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक शोधार्थियों और जरूतमंदों के लिए यह सर्वसुलभ उपलब्ध है।

मंदिर परिसर के कुछ औषधीय पौधे और उनकी उपयोगिता

अतिबाला – बुखार, एलर्जी, अल्सर, खांसी, सिर दर्द आदि लोगाें के निदान के लिए उपयोगी

घोड़ा तुलसी – डायबिटीज, अतिसार, पीलिया, सर्पदंश के निदान के लिए उपयोगी

भूमि आंवला – लीवर, पेशाब और डायबिटीज, गठिया आदि के लिए उपयोगी

हरसिंगार – खांसी, सायटिका, हड्डी टूटना, मलेरिया, त्वचा संबंधी रोग के लिए

बालमखीरा – पेचिश, निमोनिया, पथरी, कुष्ठरोग के लिए

अपामार्ग – घाव सुखाने में, पाचन तंत्र ठीक करने में

विधारा – एनीमिया, मिर्गी, पेट के कीड़े, सूजन, खांसी आदि

गोरख इमली – श्वास संबंधी रोग, मूत्र रोग, गठिया, मुंह की दुर्गन्ध दूर करने के लिए

अडूसा – मूत्र विकार, खांसी और मुंह के छालों को दूर करने के लिए

भटवास – डायबिटीज और पेट संबंधी रोग दूर करने के लिए

ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ को पेड़-पौधों से बहुत लगाव था। उन्होंने खोज-खोज कर बहुत से दुर्लभ और औषधीय पौधों को मंदिर परिसर में लगवाया। योगी आदित्यनाथ तो वनस्पतियों के संरक्षण के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। अपने गुरुओं की परंपरा को आगे बढ़ाया है। इसी का नतीजा है कि आज गोरखनाथ मंदिर परिसर वनस्पति वाटिका के रूप में विकसित हो सका है। मंदिर के पौधों पर पुस्तिका तैयार करने की इच्छा रखने वाले डा. शोभित को मुख्यमंत्री से इसके लिए अनुमति दिलाने का प्रयास किया जाएगा।