BHU में रिसर्च; किसी भी स्टेज में हो ब्लड कैंसर, नहीं होगी मौत, 750 रुपए में जांच

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(www.arya-tv.com)  एक ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) पीड़ित महिला थी। उसका हीमोग्लोबीन स्तर 4 या 5 ग्राम हो गया था। मरणासन्न थी। क्योंकि, नॉर्मली हीमोग्लोबीन का लेवल 12 ग्राम होता है। उसके अंदर MDS 5Q डिलीशन डिटेक्ट किया गया। पीड़ित मरीज का सैंपल जीन टेस्ट (साइटोजेनेटिक) के लिए भेजा गया। गड़बड़ी पता चलने पर उसी आधार पर उसकी लीना लीडोमाइड थेरेपी शुरू की गई। उसका हीमोग्लोबीन नॉर्मल हो गया। अब स्वस्थ्य है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का निर्देश है कि ल्यूकेमिया पीड़ित मरीज की साइटोजेनेटिक टेस्ट जरूरी है। ये बातें IMS-BHU स्थित हीमेटोपैथोलॉजी के प्रो. विजय तिलक ने कैंसर रोगियों पर हुए एक रिसर्च के दौरान कही।

प्रो. तिलक ने कहा कि BHU में ब्लड कैंसर के जेनेटिक टेस्ट का रेट प्राइवेट पैथॉलाजी से 10 गुना तक कम है। फिलाडेल्फिया क्रोमोसोम का जेनेटिक टेस्ट में 750 रुपए में होता है। निजी पैथोलॉजी में यह जांच 5 से 6 हजार रुपए में होती है। दूसरा, 2 हजार रुपए में रियल टाइम PCR टेस्ट होता है। वहीं, ओवरऑल कैंसर के लिए होल जीनोम पैनल जांच 15 हजार रुपए में जांच होती है। निजी पैथोलॉजी में यही जांच 55 हजार रुपए तक में होती हैं। BHU के इस सेंटर में जांच की रिपोर्ट 1 दिन से लेकर एक महीने तक में आती हैं। यदि टेस्ट में कोई गड़बड़ी हो जाए तो अगली जांच फ्री में ही कर देते हैं।

पहली बार रिसर्च में मिले 2 रेयर केस

CDG में जेनेटिक टेस्ट करने वाले डॉ. अख्तर अली ने बताया कि रिसर्च के दौरान यह भी देखा गया कि भारत के 2 मरीजों ऐसे मिले हैं, जिनमें माइलोइड सिंड्रोम (MDS) केस मिले हैं। नॉर्मली क्रॉनिक म्यूकोइड ल्यूकेमिया (CML) टाइप वाले मरीज आते हैं। MDS रेयर ब्लड कैंसर टाइप है। रिसर्च के दौरान देखा गया कि जो दवाएं बाकी के ल्यूकेमिया को ठीक करने के लिए दी जा रही है, वही दवा MDS सिंड्रोम पर भी काम कर रही है। भारत में पहली बार ब्लड कैंसर पर हुए रिसर्च में इस तरह की फाइंडिग्स आईं हैं। डॉ. अली ने बताया कि ब्लड कैंसर डिटेक्ट होने के बाद कभी भी रोगियों का साइटोजेनेटिक फॉर फिलाडेल्फिया क्रोमोसोम टेस्ट (जेनेटिक टेस्ट) करा दिया जाए, तो उसे बीमारी की गंभीरता या मौत से पहले ही बचाया जा सकता है। ब्लड कैंसर कई तरह के होते हैं।