गोरखपुर: गीता प्रेस के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का निधन, सीएम आदित्यनाथ योगी ने जताया शोक

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(www.arya-tv.com) लखनऊ. उत्तर प्रदेश से बड़ी खबर है. गीता प्रेस गोरखपुर के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का निधन हो गया है. वे गीता प्रेस से साल 1950 से जुड़े थे. उनके साथ-साथ उनका पूरा परिवार गीता प्रेस से जुड़ा हुआ है. उनका निधन 27-28 अक्टूबर की रात हुआ. जानकारी के मुताबिक, उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी. रात को खाना खाने के बाद वे सोने चले गए थे. उनके निधन पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने शोक जताया है. शोक संदेश में मुख्यमंत्री योगी ने कहा है कि विगत 40 वर्षों से गीता प्रेस के ट्रस्टी के रूप में बैजनाथ का जीवन सामाजिक जागरूकता और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा. वह ईश्वर के अनन्य भक्त थे. उन्होंने कहा कि बैजनाथ के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है.

उन्होंने शोकाकुल परिजनों से बातकर उन्हें ढांढस बंधाया. गौरतलब है कि हाल ही में गीता प्रेस गोरखपुर ने अपना शताब्दी वर्ष मनाया था. भारत सरकार ने गीता प्रेस गोरखपुर का चयन साल 2021 के गांधी शांति पुरस्‍कार के लिए किया था. हालांकि, गीता प्रेस ट्रस्ट ने सम्मान तो स्वीकार कर लिया, लेकिन पुरस्‍कार के रूप में मिलने वाली एक करोड़ रुपये की राशि लेने से इंकार कर दिया था. उस वक्त गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका ने news18 से बातचीत में कहा था कि सौ वर्ष की परंपरा का पालन हो रहा है. हमारे महापुरुषों के बनाए मूल्यों की बात है. इसलिए ये कहना थोड़ा अतिशियोक्ति होगी कि अगर एक करोड़ में दो शून्य बढ़ा भी दिए जाएं तो भी गीता प्रेस ये राशि स्वीकार नहीं करेगी. महापुरुषों ने ये नियम बनाया था कि हमें किसी तरह का सम्मान और आर्थिक सहयोग नहीं लेना चाहिए.

93 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया गया
खेमका ने बताया था कि गीता प्रेस महापुरुषों के सौ वर्ष के तप से यहां तक पहुंची है. सौ वर्ष में लगभग 93 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है और पूरे विश्व में इसका बांटा गया है. वस्तुत: हमारा भरोसा भगवान पर है. महापुरुषों के बनाए मूल्यों का पालन हो, यही हमारा प्रयास है. गीता प्रेस परिवार प्रधानमंत्री और सीएम योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त करता है जो उन्होंने इस पुरस्कार के लिए चुना है.

15 भाषाओं में श्रीमद् भागवत गीता का प्रकाशन
गीता प्रेस, गोरखपुर में लगभग 15 भाषाओं में श्रीमद् भागवत गीता का प्रकाशन किया जाता है. इनमें हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगू, संस्कृत और कई अन्य भाषाएं शामिल हैं. यहां छपने वाली धार्मिक पुस्तकों को गीता प्रेस के बाहर अलग से बेचने के लिए संस्था ने सेल डिपो बनाई है. यहां गीता प्रेस में छपने वाली सभी धार्मिक पुस्तकें कम दाम में मिल जाएंगी. यहां से पुस्तक खरीदने पर पाठकों को उपहार स्वरूप कोई ना कोई अन्य पुस्तक भेंट दी जाती है. इसमें ज्यादातर सेठ जी स्वामी जी भाई की किताबें होती हैं. कई बार कल्याण के भी अंक होते हैं.