विदेश मंत्री जयशंकर ने जॉर्डन के प्रस्ताव पर दी अपनी प्रतिक्रिया, कहा- हम इसके बड़े पीड़ित रहे

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(www.arya-tv.com) इजराइल और हमास के बीच चल रहा युद्ध तीन सप्ताह से ज्यादा समय से जारी है। इस युद्ध में साढ़े नौ हजार लोगों की जान जा चुकी है। इस लड़ाई में अधिकतर देश इजराइल के समर्थन में खड़े हैं। वहीं, दोनों के बीच मानवीय आधार पर तुरंत संघर्ष विराम लागू करने का प्रस्ताव जारी किया गया था। हालांकि, इसमें हमास के हमलों की निंदा नहीं की गई थी, जिसकी वजह से भारत ने इससे दूरी बनाई थी। वहीं, भारत के इस रुख की विपक्षी दलों के नेताओं ने आलोचना की थी। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हम आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाते हैं क्योंकि हम इसके बड़े पीड़ित रहे हैं।

विदेश मंंत्री रविवार को भोपाल में एक टाउन हॉल में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘आज एक अच्छी सरकार और मजबूत शासन अपने लोगों के लिए खड़ा है। जिस तरह घर में सुशासन आवश्यक है, उसी तरह विदेशों में सही निर्णय आवश्यक हैं। हम आतंकवाद पर एक कड़ा रुख अपनाते हैं, क्योंकि हम इसके बड़े पीड़ित रहे हैं। हमारी कोई विश्वसनीयता नहीं रह जाएगी, अगर हम ये कहेंगे कि जब आतंकवाद का असर हम पर होता है तब ये गंभीर बात है। जब दूसरों पर होता है तो ये गंभीर बात नहीं है। हमें अपना एक निरंतर रुख अपनाए रखना होगा।’

जॉर्डन द्वारा लाए प्रस्ताव में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था। प्रस्ताव में गाजा में इजराइली बलों और हमास आतंकवादियों के बीच ‘तत्काल, टिकाऊ और सतत मानवीय संघर्ष विराम’ की मांग की गई थी। हालांकि, वहीं भारत कनाडाई प्रस्ताव के पक्ष में था, जिसमें हमास द्वारा आतंकवादी हमलों की निंदा की गई थी।

गौरतलब है, इजराइल-हमास युद्ध के बीच गाजा में मानवीय आधार पर संघर्षविराम के लिए जॉर्डन की तरफ से पेश प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो गया है। यूएनजीए ने प्रस्ताव को भारी बहुमत से अपनाया है। प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े थे, जबकि विरोध में 14 वोट पड़े। वहीं 45 देशों ने मतदान से खुद को अलग रखा था।

भोपाल में विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया भर में भारत की छवि कैसे बदल गई है। उन्होंने कहा, ‘आपके पास ऐसी सरकार है जो आवश्यक और अपने लोगों के सर्वोत्तम हित के लिए खड़ी है। एक मजबूत सरकार और अच्छी सरकार एक सिक्के के दो पहलू हैं। पिछले कुछ दशकों में, दुनिया में भारत की छवि बदल गई है। जिस तरह से हमने महामारी को संभाला जब विकसित देश बहुत तनावपूर्ण थे क्योंकि कुछ में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी। हमने ‘मेड इन इंडिया’… ‘इनवेंट इन इंडिया’ वैक्सीन बनाई, हमारे पास एक COWIN प्लेटफॉर्म था।’

यूक्रेन-रूस युद्ध के समय यूरोपीय देशों ने रूसी तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगाया था, मगर भारत रूस से तेल खरीदता रहा था। इस सवाल पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यूरोप के देश कह रहे हैं कि रूस से तेल न खरीदें, जबकि वे खुद इसे ले रहे थे और उन्होंने ऐसा कार्यक्रम बनाया, जिससे उनकी अपनी आबादी पर कम से कम प्रभाव पड़े। जब हर दूसरा देश अपने लोगों के कल्याण और अपने आर्थिक हितों की देखभाल करता है, तो हम क्यों पीछे रहें।