बच्चों में मित्रता की भावनाओं का गहरा असर, छोटे बच्चे भी महसूस करते हैं दोस्तों की कमी

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(www.arya-tv.com)छोटे बच्चों के लिए मित्र की क्या अहमियत है? यह सवाल विशेषज्ञों और माता-पिता के मन में उठता है। कोरोना वायरस महामारी ने बच्चों को स्कूल, खेलने की जगह और पार्क से दूर कर दिया है। कई बच्चे माता-पिता से पूछते हैं, वे अपने दोस्त से फिर कब मिल पाएंगे। बोस्टन कॉलेज में मनोविज्ञान के सीनियर लेक्चरर डॉ. बैरी स्नीडर कहते हैं, यदि आप अपने बच्चे से पूछेंगे कि कोई आपका मित्र क्यों है तो बहुत ठोस जवाब मिल सकता है। यह कि उसके साथ खेलना मजेदार है या हम एक साथ रहते हैं या हम साथ में दौड़ते हैं। हालांकि,बच्चे अपनी भावनाओं को विस्तार से नहीं बता पाते हैं।

मनोवैज्ञानिकों ने गौर किया है कि बच्चों में मित्रता की भावनाओं का गहरा अहसास होता है। यूरोपियन चाइल्डहुड एजुकेशन रिसर्च जर्नल में एक साल के बच्चों की स्टडी में बताया गया कि वे एक ही बच्चे के साथ खेलते हैं,उससे अपनी भावनाएं बताते हैं, अगर वह बच्चा स्कूल या केयर सेंटर में नहीं मिलेगा तो उन्हें अच्छा नहीं लगता है। वे बचपन से अपने मित्र की भावनाओं के जवाब देने की कोशिश करते हैं। बाल मनोविशेषज्ञों की राय है,लगभग तीन साल की आयु के बच्चे आपसी मेलजोल के रिश्ते बनाना शुरू करते हैं। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में डेवलपमेंटल साइकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. क्लेयर ह्यूस का कहना है, बहुत छोटे बच्चों के बीच मित्रता का पता लगाना मुश्किल है। यदि बच्चे नर्सरी या प्ले स्कूल में जाते हैं तो कम आयु में दोस्ती होने लगती है। मनोवैज्ञानिक जैरी सीनफेल्ड मानते हैं, बचपन की दोस्ती तात्कालिक होती है। यदि कोई घर के सामने मिल जाए तो वह मित्र बन जाता है।

मनोवैज्ञानिक डॉ जॉन गोटमेन ने कई अध्ययनों में बताया है कि कुछ मित्रों से नजदीकी रिश्ते रखने वाले छोटे बच्चों ने शोधकर्ताओं से बातचीत में सवालों के जवाब आसानी से दिए। वे दूसरे बच्चों की तुलना में बेहतर पाए गए। ये अध्ययन बच्चों की बातचीत, आपस में खेल, माता-पिता से चर्चा की रिकॉर्डिंग के आधार पर किए गए। जिन बच्चों के बीच निकट रिश्ते होते हैं, वे एक-दूसरे की नकल करते हैं। मित्रों के साथ खेलते हुए उनका उत्साह अलग दिखाई पड़ता है। डा. स्नीडर कहते हैं, यह संबंध निकटता का होता है। केवल खेल का आनंद लेने से भर नहीं जुड़ा है। येल-एनयूएस कॉलेज, सिंगापुर में समाज विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. च्युइंद होई शान कहते हैं, आयु बढ़ने के साथ बच्चे अपने मित्रों को महत्व बेहतर तरीके से बता सकते हैं। वे बड़े समूहों से जुड़ते हैं। लेकिन, पक्के दोस्त अधिक महत्वपूर्ण रहते हैं। इसलिए बच्चों का उनके दोस्तों से फोन पर और फेसटाइम कॉल संपर्क कराना चाहिए।