एक्सपर्ट्स का कहना है, इस साल 70000 तक जा सकता है सेंसेक्स

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(www.arya-tv.com) भारतीय शेयर बाजार ने वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही यानी सितंबर खत्म होने से पहले ही नया इतिहास रच दिया है। सेंसेक्स ने ये अकेला रिकॉर्ड नहीं बनाया है। कई और भी रिकॉर्ड हैं जो इसके साथ जुड़ गए हैं। सेंसेक्स ने 10,000 पाइंट्स यानी 50,000 से 60,000 तक का सफर सिर्फ 161 दिनों में पूरा किया। जबकि 40,000 से 50,000 तक जाने में इसने 415 दिन लगाए थे।

जानकार मान रहे हैं कि छोटी अवधि में कुछ गिरावट आ सकती है, लेकिन लंबी अवधि में तेजी जारी रहेगी। बाजार के लिए जो भी निगेटिव माहौल थे, उनसे वो बाहर आ चुका है।

खरीदारी करें, लेकिन एक बार मे पूरे पैसे न लगाएं
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च हेड श्रीकांत चौहान कहते हैं कि भारत के लिए सेंसेक्स का 60,000 बड़ा अचीवमेंट है। खासकर तब, जब पूरी दुनिया के बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है। इस साल में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने अच्छी खरीदारी बाजार में की है। आने वाले महीने में कॉर्पोरेट की अर्निंग मजबूत रहेगी। जिससे बाजार की तेजी में मदद मिलेगी। निवेशकों को चाहिए कि वे जिन शेयर्स में फायदा कमाए हैं, उसमें मुनाफा वसूली करें। उन्होंने कहा कि निवेशक चुनिंदा शेयर्स में खरीदारी करते रहें। खासकर मजबूत कंपनियों में मध्यम से लंबी अवधि के नजरिए से। यह खरीदारी चरणबद्ध तरीके से करनी चाहिए। यानी एक ही बार मे पूरे पैसे न लगाएं।

घरेलू संकेत पॉजिटिव
कोटक सिक्योरिटीज के इंस्टीट्यूशनल हेड प्रतीक गुप्ता कहते हैं कि बाजार में तेजी बनी रह सकती है। घरेलू संकेत काफी पॉजिटिव हैं। वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज है और ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाएं कम हैं। इससे आर्थिक ग्रोथ की रफ्तार भी बढ़ने की उम्मीद है।

भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से बाहर आ चुकी
ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के पीएमएस हेड आनंद शाह कहते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से बाहर आ चुकी है। कोरोना के दौरान आई ग्रोथ में तेज गिरावट अब जोरदार तेजी में बदल चुकी है। कोरोना काल छोड़ दिया जाए तो पिछले 4-5 साल से ग्रोथ का पहिया तेजी से घूम रहा है।

इस बीच कंपनियों के नतीजे भी अच्छे आ रहे हैं। यानी शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों की ग्रोथ भी बेहतरीन रही है, जो आने वाले समय में भी जारी रह सकती है। जानकारों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में सेंसेक्स में शामिल कंपनियों की ग्रोथ 35% तक रह सकती हैं। वहीं अगले फाइनेंशियल ईयर (2022-23) में ये ग्रोथ 20% तक रह सकती है।

कोरोना के बीच इतनी तेजी से क्यों बढ़ा बाजार?
साल 2020 के मार्च में लगे पहले लॉकडाउन ने बाजार को जबरदस्त प्रभावित किया। इस दौरान सेंसेक्स 25,681 के लेवल पर गया तो लगा कि यहां से उबरने में बाजार को काफी समय लगेगा। पर जैसा कि सरकार ने भी आपदा में अवसर तलाशने की बात कही तो बाजार ने उससे आगे का अवसर तलाशा। यह अवसर था नए रिकॉर्ड का, निवेशकों की कमाई का, कंपनियों की कमाई का और मजबूत IPO के बाजार का।

भारतीय कंपनियों का मजबूत प्रदर्शन
कोरोना के दौरान बाजार की बढ़त का सबसे बड़ा कारण था, भारतीय कंपनियों का मजबूत प्रदर्शन। मार्च के अंतिम हफ्ते में लगे लॉकडाउन के बाद मई से ही अर्थव्यवस्था खुलने लगी थी, जब फ्लाइट्स का आवागमन शुरू कर दिया गया था। कोरोना के दौरान अर्थव्यवस्था भले प्रभावित हुई, लेकिन मई 2020 के बाद से ही इसके पॉजिटिव संकेत नजर आने लगे थे।

कोरोना के दौरान बाजार ने बेहतरीन प्रदर्शन किया
कोरोना के दौरान बाजार ने जो बेहतरीन प्रदर्शन किया उसके कई कारण रहे। कोरोना को कंट्रोल में लाने में सफलता, कंपनियों का रिकॉर्ड प्रॉफिट, विदेशी निवेशकों का रुझान, IPO बाजार की तेजी और कंपनियों द्वारा पैसा जुटाने जैसे कारण रहे हैं। सरकार और रिजर्व बैंक ने इस दौरान खुलकर अर्थव्यवस्था के लिए काम किया और राहत पैकेज दिए। पिछले साल जुलाई से दिसंबर के बीच 3,095 कंपनियों का प्रॉफिट 1.45 लाख करोड़ रुपए रहा, जिसने कई सालों के रिकार्ड को तोड़ दिया। पहली बार भारत के सभी सरकारी बैंकों ने मार्च में समाप्त वित्त वर्ष में फायदा कमाने का रिकॉर्ड बनाया।

18 महीने में 2 करोड़ से ज्यादा नए निवेशक बाजार में आए
IPO से कंपनियों ने रिकॉर्ड पूंजी तो जुटाई, पर इनको रिस्पॉन्स भी निवेशकों का मिला। कोरोना के दौरान बाजार की तेजी में एक अहम बात यह रही कि नए निवेशकों ने बाजार में कदम रखा। पिछले 18 महीने में 2 करोड़ से ज्यादा नए निवेशक बाजार में आए। इसी दौरान 50 से ज्यादा कंपनियां लिस्ट हुईं। इनकी वजह से बाजार में पैसे आए और बाजार ने तेजी भरी।

किन राज्यों से आए ये निवेशक?
मध्यप्रदेश में एक साल में निवेशकों की संख्या 80% बढ़ी है। यहां एक साल पहले 17.04 लाख निवेशक थे। अब इनकी संख्या 30.68 लाख हो गई है। राजस्थान में कुल 40.74 लाख निवेशक हैं। एक साल में 16.51 लाख यानी 66% निवेशक बढ़े हैं। पंजाब में 1 साल में 5.47 लाख यानी 46.61% निवेशक बढ़े हैं। यहां कुल 17.22 लाख निवेशक हो गए हैं। झारखंड में 54% निवेशक बढ़े हैं। यहां कुल 11.24 लाख निवेशक हैं। छत्तीसगढ़ में 6.68 लाख निवेशक हैं। 1 साल में 2.50 लाख यानी 60% निवेशक बढ़े हैं। महाराष्ट्र में 41 पर्सेंट और गुजरात में 28 पर्सेंट निवेशक इसी दौरान बढ़े हैं।