डॉ. वी. शांता ने अपनी आखिरी सांस तक की थी अद्यार कैंसर इंस्टीट्यूट की अध्यक्षा

National

(www.arya-tv.com) डॉ. वी. शांता के योगदान को हम कभी भी भुला नहीं सकते है। डॉ. वी. शांता हर किसी के लिए प्रेरणादायक रहेंगी। इनका जन्म 11 मार्च, 1927 को मद्रास के माइलापुर में हुआ था। उनका परिवार शिक्षित और समृद्ध था। नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक एस. चन्द्रशेखर उनके मामा थे और प्रसिद्ध वैज्ञानिक व नोबेल पुरस्कार विजेता सी. वी. रमन उनके नाना के भाई। इस नाते उनके सामने उच्च आदर्श के उदाहरण बचपन से ही थे।

वी. शांता की स्कूली शिक्षा चेन्नई के नेशनल गर्ल्स हाईस्कूल से हुई, जो अब सिवास्वामी हायर सेकेन्डरी स्कूल बन गया है। शांता, बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहती थीं। उन्होंने 1949 में ‘मद्रास मेडिकल कॉलेज’ से ग्रेजुएशन किया और 1955 में उनका पोस्ट ग्रेजुएशन (एम.डी.) पूरा हुआ।

वह वक्त ऐसा था, जब भारत में कैंसर अपना पाँव धीरे-धीरे फैला रहा था। साल 1949 में, उस वक़्त भारत में मेडिसीन फील्ड में ग्रेजुएट होने वाली पहली महिलाओं में शामिल डॉक्टर मुथुलक्ष्मी रेड्डी ने कैंसर रिलीफ फंड खोला और फिर अद्यार में छोटी सी झोपड़ी में कैंसर इंस्टीट्यूट की शुरुआत की। इसी इंस्टीट्यूट से अप्रैल 1955 में वी शांता जुड़ीं। उनकी जॉइनिंग, रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर के तौर पर हुई। तब से लेकर आखिरी सांस तक, वी शांता इस इंस्टीट्यूट से जुड़ी रहीं, निधन के वक्त वह अद्यार कैंसर इंस्टीट्यूट की अध्यक्षा थीं।

अद्यार कैंसर इंस्टीट्यूट की संस्थापक डॉ. वी. शांता अपने जीवनकाल में पद्मश्री (1986), पद्मभूषण (2005), मैग्सेसे पुरस्कार (2005) और भी न जाने कितने ही पुरस्कारों से सम्मानित की गईं। कैंसर आज एक बड़ी बिमारी है और इसे हराने में कई लोग दिन रात लगे हुए हैं, उन्हीं लोगों में से एक थीं वी शांता और उनके इस योगदान के लिए उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता।