जस्सी के गानों पर झूमे भक्त; मुइनुद्दीन ने सारंगी पर छेड़ी राग बागेश्री

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(www.arya-tv.com)  वाराणसी के संकट मोचन मंदिर के 100वां संगीत समारोह की पहली रात पंजाबी सूफी गायक जसबीर सिंह जस्सी के नाम रही। 5 घंटे तक चले मैराथन क्लासिकल परफॉर्मेंस के बाद जस्सी ने समां बांध दिया। कोई बोले राम, ‘कोका तेरा कुछ-कुछ केहदा नी, छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिलाके, खईके पान बनारस वाला, दिल ले गई कुड़ी गुजरात दी और पंजाबी भंगड़ा गाकर भक्तों को नाचने पर मजबूर कर दिया।

इस दौरान विदेशी भी झूमते दिखाई दिए। मंदिर परिसर में गद्दों और रेड कार्पेट पर सोए लोग जग गए। जस्सी ने करीब ढाई घंटे तक परफॉर्मेंस दी। गुरुनानक वाणी से शुरू हुई जस्सी की परफॉर्मेंस सूफियाना और हीर-रांझा तक पहुंची। साथ ही अमीर खुसरो और बुल्ले शाह की बहुचर्चित रचनाओं को गाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

बुल्लेशाह के गानों पर मगन हुए भक्त
करीब डेढ़ घंटे तक पंजाबी फोक गाने के बाद उन्होंने बुल्ले शाह की रचनाओं पर कई गीत गाए। जस्सी बीच-बीच में काशी और पंजाब के म्यूजिक पर भी चर्चा करते रहे। उन्होंने कहा कि मेरी औकात नहीं थी कि मैं इस मंच पर गाऊं। इतने महान कलाकारों के सामने परफॉर्म करना बेहद चैलेंजिंग है। इस दौरान उन्होंने मंच से ही संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्रा से अनुमति ली और पंजाबी पॉप सांग सुनाए। उन्होंने कहा कि मेरे इन गानों में न तो अश्लीलता है और न ही कोई नशे की बात है। बजरंग बली के दरबार में सब कुछ चलता है।मोईनुद्दीन ने सारंगी पर बजाया राग बागेश्री
जयपुर से आए उस्ताद मोईनुद्दीन खान ने सारंगी पर राग बागेश्री बजाया। हालांकि, यह राग समय के हिसाब से उचित तो नहीं था, मगर रागदारी काफी पसंद की गई। उनके साथ तबले पर उस्ताद अकरम खान ने संगत की। बेंगलुरु के पं. नागराज हवलदार ने राग दरबारी कान्हड़ा के सुर छेड़े। रागदारी और लयकारी का फन दिखाते हुए उन्होंने बिट्ठल…बिट्ठल से गायन को समाप्त किया। भोर में पुणे के पं. उल्हास कसालकर ने राग भैरव गाकर लोगों को रिफ्रेशमेंट का एहसास भी कराया। संगीत समारोह के पहले दिन के कार्यक्रम का अंत मुंबई के पंडित पूर्वायन चटर्जी ने अलाप गाकर किया।