ऑनलाइन ठगों का आतंक! कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से जुड़े फ्रॉड की पूरी रिपोर्ट

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आजकल ऑनलाइन लेनदेन बहुत आसान हो गया है. हम बिल भरने, खरीदारी करने और पैसे ट्रांसफर करने के लिए डेबिट-क्रेडिट कार्ड, UPI और नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन सुविधा के साथ-साथ कुछ खतरे भी बढ़ गए हैं.

रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल (FY24) बैंकों में धोखाधड़ी के मामले काफी बढ़ गए हैं. FY24 में कुल 36,075 मामले सामने आए, जो FY22 के 9046 मामलों से करीब 400% ज्यादा है. यानी सिर्फ तीन साल में धोखाधड़ी के मामले चार गुना से ज्यादा बढ़ गए हैं.

हालांकि एक अच्छी बात ये है कि धोखाधड़ी में शामिल रकम कम हुई है. FY22 में कुल 45,358 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ था, वहीं FY24 में ये घटकर 13,930 करोड़ रुपये रह गया. 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में कुल मिलाकर धोखाधड़ी में शामिल रकम में 46.7 फीसदी की कमी आई है. इसका मतलब धोखाधड़ी करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा हो गई है लेकिन अब वो छोटी रकम के लिए ठगी कर रहे हैं.

ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर बैंक ट्रांसफर तक पेमेंट फ्रॉड! 
पेमेंट फ्रॉड तब होता है जब कोई चोर ऑनलाइन गलत तरीके से कोई भी फर्जी या गलत लेनदेन करता है. बैंक अकाउंट से जुड़े हर तरह के लेन-देन में धोखाधड़ी हो सकती है. जैसे:

  • कैश निकालना या जमा करते समय
  • चेक के जरिए
  • ऑनलाइन पेमेंट्स
  • डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन
  • मनी ट्रांसफर
  • लोन की पेमेंट

इन सभी तरीकों से अपराधी धोखाधड़ी कर सकते हैं.

कौन से बैंकों में ज्यादा फ्रॉड?
प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में धोखाधड़ी के मामले ज्यादा सामने आए हैं, लेकिन सरकारी बैंकों से कुल मिलाकर ज्यादा रकम फ्रॉड में गई. जितने भी फ्रॉड हुए हैं, उनमें से ज्यादातर ऑनलाइन पेमेंट (डेबिट/क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग) के जरिए हुए हैं. तीन साल में कार्ड और इंटरनेट के जरिए फ्रॉड के मामले 8 गुना और रकम 9.4 गुना बढ़ गई.

गौर करने वाली बात ये है कि फ्रॉड की संख्या के मामले में तो ये छोटे ऑनलाइन फ्रॉड ज्यादा हैं, लेकिन रकम के मामले में बड़े लोन फ्रॉड (जिन्हें बैंक की भाषा में एडवांस कहते हैं) ज्यादा हैं. ये बड़े लोन फ्रॉड ज्यादातर सरकारी बैंकों में हुए.

बैंक फ्रॉड का पता लगने में हो रही है देरी! 
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सालों के बैंक फ्रॉड का पता लगने में काफी देरी हो रही है. साल 2022-23 और 2023-24 में दर्ज किए गए फ्रॉड की रकम में से ज्यादातर फ्रॉड (लगभग 94% से 89%) असल में पिछले वित्तीय वर्षों में हुए थे, यानी फ्रॉड होने के बाद काफी देरी से पता चल रहा है.

बैंक यह नहीं पता लगा पा रहे हैं कि उनके यहां कब फ्रॉड हो रहा है. बैंक फ्रॉड का जल्द पता लगना बहुत जरूरी है ताकि बैंकों का नुकसान कम हो और लोगों को भी जल्दी मदद मिल सके. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि बैंक फ्रॉड का पता लगाने की व्यवस्था में सुधार की जरूरत है.

लेनदेन सुरक्षित बनाने के लिए सरकार की क्या प्लानिंग 
ऑनलाइन फ्रॉड को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बैंकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कुछ योजनाएं बनाई हैं. आरबीआई ने बताया, बैंक जब किसी साइबर हमले का शिकार होते हैं तो उसका जवाब देने में उनकी क्षमता बढ़ाई जाएगी. ये एक तरह से बैंकों के लिए साइबर रेंज तैयार करने जैसा है, जहां वो इस तरह के हमलों से निपटने की प्रेक्टिस कर सकेंगे.

साथ ही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके हर लेन-देन पर नजर रखी जाएगी. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का इस्तेमाल किया जाएगा. ये नई टेक्नोलॉजी बैंकों के डेटा का बारीकी से विश्लेषण करेगी, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी का जल्दी पता लगाया जा सके. ये बैंक सुपरविजन के लिए एक तरह का हाई-टेक टूल है. ये योजनाएं 2024-25 में लागू की जाएंगी.

अभी तक सभी सहकारी बैंकों की एक ही तरह से निगरानी होती थी. अब विचार किया जा रहा है कि क्या हर बैंक पर होने वाले जोखिम (रिस्क) के हिसाब से निगरानी की जा सकती है. यानी जितना ज्यादा जोखिम वाला बैंक होगा, उसकी उतनी गहन निगरानी होगी. इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंकों के लिए मौजूदा निगरानी फ्रेमवर्क की भी समीक्षा की है. ये कदम सहकारी बैंकों की सेहत सुधारने और ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रखने की दिशा में सकारात्मक कदम हैं.

डिजिटल बैंकिंग पर फोकस
वित्त वर्ष 2023-24 में रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंकों की खासकर उनकी डिजिटल सुरक्षा की जांच पर जोर दिया है. सभी हाई रिस्क सहकारी बैंकों की IT जांच की गई. कुछ चुनिंदा लेवल-3 के सहकारी बैंकों की भी जांच हुई. इन बैंकों को चुनने का आधार यह था कि वो डिजिटल लेनदेन की सुविधा देते हैं या नहीं. जिन लेवल-3 बैंकों में मोबाइल या इंटरनेट बैंकिंग जैसी सुविधाएं हैं, उन्हें अपनी सुरक्षा व्यवस्था की जांच कराने के लिए कहा गया. ये जांच सरकारी साइबर सुरक्षा एजेंसी से मान्यता प्राप्त ऑडिटर्स ने की.

जिन बैंकों की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर पाई गई, उन पर कुछ पाबंदियां लगाई गईं. सुधार के बाद पाबंदियां हटाई दी. हालांकि जैसे-जैसे बैंकों ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था में सुधार किया, वैसे-वैसे उन पर लगी पाबंदियों को हटाया जा रहा है. सरकार का ये कदम डिजिटल बैंकिंग इस्तेमाल करने वाले सहकारी बैंकों के ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है. इससे सहकारी बैंक ज्यादा सुरक्षित बनेंगे और ग्राहकों का पैसा भी ज्यादा सुरक्षित रहेगा.

2024-25 में सहकारी बैंकों में साइबर सुरक्षा और आईटी से जुड़े खतरों का गहन मूल्यांकन किया जाएगा. इसमें बैंकों के ऑनलाइन और डिजिटल सिस्टम की सुरक्षा जांचना शामिल होगा. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बैंक डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर हमलों से सुरक्षित रहें.

बैंक धोखाधड़ी के आम तरीके
आजकल बैंक अकाउंट हैक होना आम होता जा रहा है. कई बार धोखेबाज लोगों के पासवर्ड किसी तरीके से चुरा लेते हैं, जैसे कि किसी फर्जी वेबसाइट या ऐप के ज़रिए लॉग इन करवा लेना. चुराए हुए पासवर्ड का इस्तेमाल करके वो आपके असली बैंक अकाउंट में घुसपैठ कर सकते हैं. कभी-कभी तो धोखेबाज आपके अकाउंट की जानकारी सीधे डार्क वेब से खरीद लेते हैं.

चोर आपके खाते पर कब्जा करने के लिए चोर आपको फोन करते हैं, ईमेल भेजते हैं या किसी फर्जी वेबसाइट पर चैट में उलझाकर आपसे आपकी जानकारी निकालने की कोशिश करते हैं. वे आपको डराते-धमकाते हैं या किसी फायदे का लालच देकर आपसे आपकी जानकारी ले लेते हैं. कुछ मामलों में ये बच्चे, मृत व्यक्ति या बेघर लोगों की जानकारी का इस्तेमाल करते हैं. सबसे आम तरीका है सिंथेटिक पहचान बनाना. इसमें असली लोगों की कुछ सही जानकारी ली जाती है और बाकी जानकारी को गढ़ दिया जाता है या चुरा लिया जाता है.

अकाउंट लेने के बाद धोखेबाज क्या करते हैं?
अकाउंट पर कब्जा करने के बाद सबसे पहले धोखेबाज आपका पासवर्ड बदल देते हैं ताकि आप अपने ही अकाउंट में लॉग इन न कर सकें. इसके बाद वो आपके पैसे को किसी दूसरे खाते में ट्रांसफर कर सकते हैं. वो आपके पैसे का इस्तेमाल करके ऑनलाइन शॉपिंग या और भी फर्जी लेनदेन कर सकते हैं. कुछ मामलों में तो वो आपके नाम पर नए अकाउंट भी खोल लेते हैं, खासकर क्रेडिट कार्ड या लोन के लिए.

अगर आपका अकाउंट ATO (अकाउंट टेकओवर) का शिकार हो जाता है, तो बैंक को भी काफी दिक्कत होती है और ग्राहकों का भरोसा भी कम होता है. ATO की वजह से आपकी गाढ़ी कमाई खत्म हो सकता है. अमेरिका में हर साल लगभग 22% लोग ATO का शिकार होते हैं और उनकी औसतन $12,000 डॉलर तक की चोरी हो जाती है.

बैंकिंग और ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे बचें?
कभी भी किसी को अपना बैंक खाता नंबर, डेबिट/क्रेडिट कार्ड नंबर, पिन, OTP या इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड न बताएं. अपने बैंक खाते, डेबिट/क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के लिए अलग-अलग और मजबूत पासवर्ड रखें. अपनी बैंक स्टेटमेंट और लेनदेन की जानकारी नियमित रूप से चेक करते रहें. किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में तुरंत अपने बैंक को जानकारी दें.

पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल करते समय ऑनलाइन बैंकिंग या लेनदेन न करें. जब आप अपना डेबिट/क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल न कर रहे हों तो उसे अपने पास सुरक्षित रखें. सुनिश्चित करें कि आप जिस वेबसाइट पर बैंकिंग कर रहे हैं वह सुरक्षित है और उसका URL “https://” से शुरू होता है.

अगर आपको बड़ी रकम ट्रांसफर करनी है तो उसे कई छोटे-छोटे लेनदेन में बांटकर करें. अपने कंप्यूटर पर एंटीवायरस और एंटी-मैलवेयर सॉफ़्टवेयर डाउनलोड करें और उन्हें अपडेट रखें. पब्लिक कंप्यूटर का इस्तेमाल करते समय भी ऑनलाइन बैंकिंग न करें.