nagar nigam

CM योगी की आंखों में धूल झोंक रहे नगर निगम के पार्षद और अधिकारी

Lucknow UP
Suyash Mishra 7007096037
Suyash Mishra

(किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की जानकारी अगर आपके पास है तो 7007096037 पर संपर्क करें। आपका नाम और पता गोपनीय रखा जाएगा)

लखनऊ। आंकड़ों और तथ्यों की बाजीगरी से भ्रष्टाचार को अंजाम देने की कला कोई नगर निगम के अधिकारियों से सीखे। बड़े बड़े विभाग भी इनकी कला के कायल हो जाएंगे और भविष्य में उनसे टिप्स लेकर भ्रष्टाचार के बड़े बड़े कारनामों को सफाई से अंजाम देंगे। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी भी इस कला में अनभिज्ञ नहीं हैं। उनके कारनामों पर नगर आयुक्त भी मौन हो जाते हैं। ये वही नगर आयुक्त हैं जो कभी बिजनौर में सीडीओ रहते हुए अपने विकास माॅडल से इतना चर्चा में आए कि प्रधानमंत्री तक की नजरों में आ गए। इंद्रमणि त्रिपाठी को नगर आयुक्त का जिम्मा सिर्फ इसीलिए दिया गया था कि वह पूर्व में उदयराज के कार्यकाल में फैले भ्रष्टाचार पर नकेल कस सकें, लेकिन वह भी उम्मीदों पर खरे उतरते नहीं दिख रहे।

YouTube player

(अगली सीरीज में देखिए नगर निगम के 110 पार्षद जा सकते हैं जेल!)

कैसे हो विश्वास?

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद यूपी के अफसरों को हर वक्त डर रहता है। कब कौन सी रिपोर्ट तलब कर ली जाए। हर काम का जवाब देना पड़ता है। कौन सी स्कीम जमीन पर उतरी, कितना कारगर हुई। इसका फीडबैक मांगा जाता है। इन सवालों से बचने के लिए लखनऊ नगर निगम ने गलत रिपोर्ट भेजकर सरकार की आंखों में धूल झोकने की कोशिश की है। करोड़ो रुपए, मशीनरी और मैन पावर होने के बाद भी स्वच्छता रैंकिंग में 121वें पायदान पर पहुंचने वाले लखनऊ को अगर अचानक ओडीएफ डबल प्लस का खिताब मिल जाए तो यह मुंगेरी लाल के सपने साकार होने जैसा ही है। जिन पर शायद ही कोई विश्वास करे।

लखनऊ में जानी हकीकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंत के दिन देश को साफ-सुथरा बनाने का संकल्प लिया था। इसके बाद देष भर में स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया गया। मोदी सरकार की कोशिश है कि 2019 तक देश को खुले में शौच से मुक्त कर दिया जाए। इस कोशिश में पूरा सरकारी अमला लगा हुआ है। दावे किए जा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के सभी जिलों को ओडीएफ कर दिया गया है। हमने सिर्फ लखनऊ में इस दावे की जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की है।

मुख्यमंत्री की आंखों में धूल झोंक रहे अधिकारी

फरवरी 2019 में लखनऊ को ओडीएफ डबल प्लस का खिताब मिला है। यह खिताब सरकार के मंसूबों पर पानी फेर रहा है। न तो अभी तक लखनऊ में ओडीएफ डबल प्लस के मानकों को पूरा किया गया है और न ही शहर को खुले में शौच से 100 प्रतिशत मुक्त किया गया। बावजूद इसके अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को खुश करने और अपना काॅलर टाइट करने के लिए गलत रिपोर्ट पेश करके सरकार को गुमराह करने की कोशिश की है।

स्पेशल टीम पर भी उठ रहे सवाल!

लखनऊ में अभी 308 कम्यूनिटी और 252 पब्लिक ट्वायलेट बने हैं। इसमें से 74 ट्वायलेट काफी अच्छे बने हैं। इसके अलावा शहर के विभिन्न इलाकों में 14000 से ज्यादा पीएम मोदी की शौचालय योजना के तहत व्यक्तिगत ट्वायलेट भी बनाए गए हैं। इसी आंकड़े के आधार पर लखनऊ को पहले ओडीएफ प्लस और बाद में ओडीएफ डबल प्लस का प्रमाण पत्र मिला था। इसके लिए दिल्ली से एक स्पेशल टीम आई थी जिसने शहर के विभिन्न इलाकों में पब्लिक ट्वायलेट का निरीक्षण किया था। इनमें साफ सफाई की स्थिति से लेकर तमाम मानकों की जांच की गई थी।

 

केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की ओर से रखी गयी एजेन्सी क्वालिटी काउन्सिल आॅफ इण्डिया की ओर से प्रमाण पत्र जारी किया गया था और उसके बाद लखनऊ को ओडीएफ डबल प्लस प्रमाण पत्र मिला। फरवरी 2019 में एजेन्सी ने जांच के बाद इसका प्रमाण पत्र जारी किया। टीम ने इसके लिए 45 पब्लिक ट्वायलेट का निरीक्षण किया था। इसमें से उसे तीन ट्वायलेट साफ, पांच बहुत साफ, 13 एक्सीलेंट मिले थे। मानक के हिसाब से ट्वायलेट व साफ सफाई मिलने पर ही डबल प्लस का प्रमाण पत्र मिला है, लेकिन सवाल यह उठता है कि सरकार द्वारा ओडीएफ डबल प्लस के जो मानक रखे गए हैं क्या लखनऊ ने वो पूरा किया तो जवाब आएगा नहीं नहीं नहीं।

क्या हैं मानक

दरअसल ओडीएफ डबल प्लस में शहर में हर 500 मीटर की दूरी पर एक सार्वजनिक टाॅयलेट होता है। मानक के अनुसार इन टाॅयलेट्स में सीसाए साबुनए टावेल से लेकर हर वो सुविधा होती है जिसकी आवश्यकता अमूमन आम आदमी को होती है। इसके साथ ही मानक में टाॅयलेट के वेस्टेज को सीवर सिस्टम से कनेक्ट करना होता है। यानी कि टाॅयलेट का वेस्टेज खुली नाली में नहीं बहना चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि लखनऊ को ओडीएफ डबल प्लस का दर्जा कैसे मिल गया जब आज भी लखनऊ में फैजुल्लागंज, मड़ियांव जैसे तमाम इलाकों में सीवर लाइन से घर के शौचालय को जोड़ा नहीं जा सका है। इतना ही नहीं पुराने लखनऊ के तमाम इलाके ऐसे हैं जहां सीवर लाइन ही नहीं है। अभी भी यहां शौचालयों का मल सीधे नालियों में बहता है। फैजुल्लागंज क्षेत्र में सीवर लाइन का काम मायावती सरकार में शुरू हुआ था अखिलेश सरकार में भी चलता रहाए लेकिन वर्तमान में योगी सरकार है पर अभी तक सीवर लाइन से घरों में बने शौचालयों को जोड़ा नहीं जा सका। वह बात अलग है कि पिछले कुछ दिनों से यहां तेजी से काम चल रहा है। लेकिन सवाल फिर वही उठता है कि जब शहर के इतने बड़े इलाके में शौचालय का मल खुली नालियों में बह रहा है तो फिर कैसे ओडीएफ डबल प्लस का दर्जा निगम को मिल गया।

नगर निगम मुख्यालय खोल देगा पोल

बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो जाती ओडीएफ डबल प्लस में शामिल हो चुके लखनऊ की जमीनी हकीकत क्या है अगर आप जानने के लिए उत्सुक हैं तो लालबाग स्थित लखनऊ नगर निगम मुख्यालय का एक चक्कर लगाना जरूरी हो जाता है। मुख्यालय के बाईं ओर ई सुविधा केंद्र का रास्ता जाता है। यहां पर लोग गाड़िया भी खड़ी करते हैं। इस रास्ते पर जैसे ही आप कदम बढ़ाएंगे तो आपकोओडीएफ डबल प्लस के दावों की हकीकत समझ आ जाएगी। आप मुंह पर रूमाल लगा लेंगेए क्योंकिए ई सुविधा केंद्र के बाहर वाली नाली में खुलेआम मल बह रहा है। पीछे की तरफ बने शौचालय का सारा मल खुली नाली में बहता है। इतना ही नहीं ऊपर बने शौचलयों का मल भी पाइप के द्वारा उसी खुली नाली में बह रहा है। आप समझ सकते हैं जब नगर निगम मुख्यालय का ये हाल हैं तो वार्डों में स्थिति कैसी होगी।

ओडीएफ डबल प्लस के मानक

सभी शौचालयों में जल की उपलब्धता।

शौचालय और मूत्रालय की समस्त शीटें साफ हों और शौचालय पूरे समय खुले रहते हों।

शौचालय में लगा वाश बेसिन साफ हो।

सफाई और प्रबंधन हेतु रोस्टर का पालन किया जा रहा हो और केयर टेकर हर समय ड््यूटी पर तैनात हो।

शौचालय के फ्लोर की नियममित साफ सफाई तय समय पर हो। शौचालय में दर्पण होना चाहिए।

सभी दरवाजे पर कुंडी लगाने की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रत्येक शौचालय में हांथ धोने के लिए साबुन की व्यवस्था होनी चाहिए।

शौचालय में डस्टबिन हो तथा प्रत्येक शीट के साथ एक बिन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

शौचालय की प्रत्येक शीट पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था तथा दीवार पर झरोखा या फिर एग्जास्ट फैन लगा होना चाहिए।

महिलाओं और पुरूषों के लिए प्रथक शौचालय और अलग अलग रास्ते होने चाहिए।

क्या कहते हैं संयुक्त निदेशक

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी एवं संयुक्त निदेशक को आप्टेड मेंबर भारतीय जीवजन्तु कल्याण बोर्ड का कहना है किलखनऊ नगरीय क्षेत्र ओडीएफ डबल प्लस हो गया है। सभी सभासदों से लिखवाकर लिया गया है। सारा प्रोटोकाॅल पूरा कर लिया गया है। टीम ने सब कुछ चेक किया इसके बाद ही लखनऊ को ओडीएफ डबल प्लस का दर्जा मिला।

(अगली सीरीज में देखिए नगर निगम के 110 पार्षद जा सकते हैं जेल!)