कोविड-19 महामारी को रोका जा सकता था, सरकारों और नेताओं ने हर स्तर पर लापरवाही दिखाई

Health /Sanitation International

(www.arya-tv.com)इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट्स के एक पैनल ने दावा किया है कि कोरोनावायरस या कोविड-19 से निपटा जा सकता था, इस पर काबू पाया जा सकता था, लेकिन दुनियाभर की सरकारों ने हर स्तर पर लापरवाही बरती और इसके चलते लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी।

यह रिपोर्ट इंडिपेंडेंट पैनल फॉर पैन्डेमिक प्रिपेयर्डनेस एंड रिस्पॉन्स (IPPPR) ने जारी की है। इसके मुताबिक, महामारी नाकामियों और लापरवाहियों का ‘टॉक्सिक कॉकटेल यानी जहरीला मिश्रण’ है।

आपसी सहयोग नहीं था
IPPPR की रिपोर्ट के मुताबिक, संस्थान (सरकारें) लोगों को महफूज रखने में नाकाम रहीं। कुछ नेता ऐसे थे जो साइंस के फैक्ट्स को झुठलाते रहे। और यही लापरवाही इतनी बड़ी महामारी की वजह बनी। अगर वक्त रहते आपस में सहयोग किया जाता तो ये हालात पैदा नहीं होते।

लाइबेरिया के पूर्व राष्ट्रपति और इस पैनल के को-चेयरमैन एलन जॉनसन सरलीफ ने कहा- सच्चाई ये है हमने अपनी जांच में हर स्तर पर नाकामी और लापरवाही पाई। हम ये कह सकते हैं कि अगर ये नहीं होता तो महामारी को रोका जा सकता था। दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में महामारी की शुरुआत हुई। कोई अलर्ट नहीं था और न ही तैयारी की गई। फरवरी 2020 में जब मौतें होने लगीं तब भी कोई अलर्ट नहीं हुआ।

अब क्या किया जाए? कैसे रुके महामारी
रिपोर्ट के मुताबिक- अगर महामारी को रोकना है तो सबसे पहले गरीब देशों को अमीर देशों की तरफ से मुफ्त एक अरब वैक्सीन डोज देने होंगे। अमीर देशों को आगे आना होगा। ये देश उन संगठनों को मोटी आर्थिक मदद दें जो रिसर्च में लगे हैं। इससे हम अगली महामारी को रोक सकते हैं।

WHO भी नाकाम रहा
रिपोर्ट में आगे कहा गया है- सिर्फ सरकारें ही क्यों, WHO भी महामारी को रोकने और पहचानने में नाकाम साबित हुआ। इसलिए, उसकी भी आलोचना सही है। WHO ने 30 जनवरी 2020 को इस बारे में चिंता जताई। इसके 6 हफ्ते बाद कोविड को महामारी घोषित किया गया। ग्लोबल इमरजेंसी की घोषणा में एक हफ्ते से ज्यादा वक्त नहीं लगना चाहिए।