कोविड-19:कोरोना तो बढ़ेगा, क्योंकि सैंपलिंग से पॉजिटिव की रिपोर्ट तक मॉनिटरिंग की पूरी व्यवस्था फेल

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(www.arya-tv.com)जिले में शुक्रवार काे 46 लाेग पाॅजिटिव मिले ताे वहीं सेक्टर-12 के 50 वर्षीय एवं केनरा बैंक के मैनेजर की माैत हाे गई। जिले में कोरोना तो बढ़ेगा, क्योंकि सैंपलिंग से पॉजिटिव की रिपोर्ट तक मॉनिटरिंग की पूरी सरकारी व्यवस्था फेल है। दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि समय-समय पर केंद्र व विभाग से गाइडलाइन आ रही है उसके हिसाब से काम किया जा रहा है। संक्रमण के शुरुआती वक्त में एक-एक मरीज मिलने पर दहलाने वाला पानीपत आज सैकड़ाें की गिनती तक पहुंच गया है।

पाॅजिटिव केस मिलने पर पाॅजिटिव के घर के चाराें ओर से एक-एक किलाेमीटर दूर तक लगने वाला कर्फ्यू, काॅलाेनियाें में एंबुलेंस और पुलिस के साथ मेडिकल टीम की भाग-दाैड़ बीते वक्त की बात हाे गई। अब पड़ाेसी काे नहीं पता कि पड़ाेसी काेराेना मरीज है। न एंबुलेंस, न पुलिस, न नाेटिस, जाे पाॅजिटिव व क्वारेंटाइन नहीं। सैंपल देकर लाेग बेफिक्र घूम रहे हैं। सैंपलिंग के बाद न लोग परहेज कर रहे और न ही स्वास्थ्य विभाग मॉनिटरिंग कर रही है। राेजाना की भागदाैड़ के अलावा त्याेहार, शादियां। नतीजा गिनती बन गए लाेग।

क्वारेंटाइन नहीं हाेते मरीज

सैंपल देने के बाद अब किसी काे क्वारेंटाइन किया जाता। न ही लाेग खुद क्वारेंटाइन हाे रहे हैं। अगर वाे पाॅजिटिव मिलता है, ताे उसे घर या अन्य जगह एडमिट करते हैं, जबकि पहले रिपाेर्ट निगेटिव आने तक क्वारेंटाइन किया जाता था।

कंटेनमेंट जाेन सिर्फ नाम के

अब कंटेनमेंट जाेन नाम के रह गए हैं। जहां केस मिलता है उस घर या दाे से 5 घराें काे कंटेनमेंट जाेन बनाया जाता है। जबकि पहले 1 से 3 किलाेमीटर तक कंटेमनेंट जाेन बनाकर सील किया जाता था।

न पुलिस का पहरा

पहले कंटेनमेंट जाेन में पुलिस का पहरा हाेता था। किसी काे अंदर बाहर जाने नहीं दिया जाता था। मेडिकल टीम सर्वे व जांच करती थी। अब ताे कंटेनमेंट जाेन बनाने में ही 10 से 12 दिन लगते है, तब तक मरीज भी ठीक हाे जाता है।

गाइडलाइन के हिसाब से कर रहे काम

सीएमओ डाॅ. संतलाल वर्मा ने बताया कि अब क्वारेंटाइन एक्टिवटी हर जगह बंद हाे गई है। पहले हर संदिग्ध काे क्वारेंटाइन करते थे। जाे गाइडलाइन मिलती है, उसके हिसाब से काम कर रहे हैं। अब पाॅजिटिव केसाें की आइसाेलेट किया जा रहा है। चाहे घर करना पड़े या अस्पताल में। अब केसाें की संख्या कई गुना हाे गई। स्टीकर लगाने सरकार ने ही बंद किए क्याेंकि कई लाेगाें का मानना था कि इससे लाेगाें की धारणा उनके खिलाफ गलत बनती है। लाेगाें काे भी जिम्मेदारी समझनी हाेगी कि वाे मास्क लगाकर निकले।