चीन की करतूत:सोशल एक्टिविस्ट्स को घरों में कैद किया, लाखों सोशल मीडिया अकाउंट बंद

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(www.arya-tv.com) चीन में 4 फरवरी से होने वाले विंटर ओलिंपिक्स के पहले सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ पूरे देश में कार्रवाई की जा रही है। हजारों सोशल एक्टिविस्ट्स को घरों में कैद कर दिया गया। लाखों सोशल मीडिया को अकाउंट्स को बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं कुछ जगह तो महिलाओं से मारपीट भी की गई है। ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि 4 से 20 फरवरी तक चलने वाले विंटर ओलिंपिक्स के दौरान शी जिनपिंग की तानाशाही हुकूमत के खिलाफ कोई आवाज न उठाई जा सके।

एथलीट्स और जर्नलिस्ट्स का आना शुरू
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की एक स्पेशल रिपोर्ट में चीन सरकार के टॉर्चर का खुलासा हुआ है। शुक्रवार से यहां एथलीट्स और जर्नलिस्ट्स का आना शुरू हुआ। ये लोग सुरक्षा के इंतजाम देखकर हैरान थे। आमतौर पर किसी स्पोर्ट्स इवेंट के लिए इस तरह के सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स नहीं किए जाते। कुछ लोगों को तो गिरफ्तार करके सीधा जेल भेजा गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में तो यहां तक कहा गया है कि चीन सरकार के खिलाफ अगर किसी खिलाड़ी ने भी आवाज उठाई तो उसके खिलाफ कार्रवाई होना तय है।

चीन सरकार कैसे विरोधियों की आवाजें दबा रही है
हु जिया मशहूर ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट हैं। जनवरी की शुरुआत में उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया था कि चीन सरकार कैसे विरोधियों की आवाजें दबा रही है। फिलहाल उन्हें घर में कैद किया गया है। पुलिस रोज घर आती है। हु ने कहा- पुलिस ने कहा है कि अगर मैंने जुबान खोली तो मैं मां से भी नहीं मिल सकूंगी।

इसके अलावा कई युवा ऐसे हैं जो सरकार के दमन के विरोध में सोशल मीडिया पर ही आवाज उठा रहे हैं। इन लोगों के अकाउंट्स बंद कर दिए गए हैं। कुछ लोगों को घरों से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया और इस बात की कोई उम्मीद नहीं कि 20 फरवरी के बाद भी ये रिहा हो पाएंगे या नहीं।

वीगर मुस्लिमों के हक की आवाज यहां भी उठ सकती है
चीन को यह आशंका है कि इस इवेंट में कोई ओलिंपिक खिलाड़ी तानाशाही के विरोध में आवाज उठा सकता है। लिहाजा, हर हरकत पर पैनी नजर रखी जा रही है। यह आशंका फिजूल नहीं है। दरअसल, हॉन्गकॉन्ग में चीन ने जिस तरह आम जनता और मशहूर लोगों की आवाज दबाने की कोशिश की है, उससे सभी नाराज हैं। तिब्बत और वीगर मुस्लिमों के हक की आवाज यहां भी उठ सकती है। चीन की मशहूर टेनिस प्लेयर पेंग शुआई के यौन शोषण का मामला तो अब तक ठंडा नहीं पड़ा है।

2008 के बीजिंग ओलिंपिक खेलों के दौरान चीन सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले वकील टेंग बियायो कहते हैं- मुझे उम्मीद है कि कोई न कोई एथलीट चीन सरकार के जुल्म के खिलाफ जरूर बोलेगा।

खेलों के एक अधिकारी यांग शुई की धमकी भी जान लीजिए। उन्होंने कहा- ओलिंपिक खेलों को खेल ही रहने दिया जाए। अगर किसी ने चीनी कानून या नियमों के खिलाफ आवाज उठाई तो उसे सजा मिलना तय है।