वाराणसी के सर्व सेवा संघ परिसर की एक बिल्डिंग को गिराया ;रेलवे ने अपनी संपत्ति का बोर्ड लगाया

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(www.arya-tv.com)  वाराणसी के सर्व सेवा संघ परिसर की एक बिल्डिंग को शनिवार सुबह गिरा दिया गया। ध्वस्तीकरण के दौरान संघ कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू किया। 10 कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया।

मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है। 8.07 एकड़ जमीन में फैले इस परिसर में पुलिस, प्रशासन और रेलवे के अधिकारी मौजूद हैं। वहीं, सर्व सेवा संघ और कई दलों के लोग राजघाट स्थित परिसर के पास पहुंच गए हैं। परिसर के अंदर जाने पर प्रतिबंध है।

सर्व सेवा संघ के पदाधिकारियों ने आज एक इमोशनल अपील भी की है। कहा कि देश भर के लोग एक अंतिम प्रयास कर लें, गांधी विनोबा भावे की विरासत बचाने के लिए। बस, ट्रेन और फ्लाइट जैसे भी हो यहां पर पहुंचे और यह जो सरकार है। इसको इस कृत्य से रोककर दिखाएं।

वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ परिसर को पहले ही खाली करा दिया गया था। यहां बसी कॉलोनियों और ऑफिस से लोगों को बाहर करके रेलवे ने अपनी संपत्ति का बोर्ड भी लगा दिया था। अब आज इसके धवस्तीकरण का काम शुरू हो रहा है।

8 बजे पुलिस, 9 बजे अफसर पहुंचे, विरोध करने वालों को थाने भेजा

शनिवार सुबह करीब 8 बजे सर्व सेवा संघ पर पुलिस पहुंच गई। पूरे एरिया को घेर लिया गया। करीब 9 बजे यहां प्रशासन-पुलिस के अफसर भी पहुंच गए। विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं को समझाने के बाद उन्हें परिसर से दूर ले जाया गया। बुलडोजर ने करीब 10 बजे ध्वस्तीकरण शुरू किया गया। एक बिल्डिंग गिराई जा रही है।

विरोध कर रहे कार्यकर्ता नंदलाल मास्टर, जागृति राही, डॉ. अनूप श्रमिक, तारकेश्वर, अनूप आचार्य, अरविंद कुशवाहा, ध्रुव, अवनीश, फ़ा आनंद और रामधीरज को हिरासत में ले लिया गया है।

राकेश टिकैत ने भी किया विरोध
दो दिन पहले किसान राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटेकर ने सर्व सेवा संघ परिसर को बचाने के लिए जोर-शोर से आवाज उठाई थी। राकेश टिकैत ने कहा था कि यदि सरकार ने बुलडोजर चलाया तो अपने ट्रैक्टर हम दिल्ली के आगे बनारस भी मोड़ सकते हैं। जमीन बचाने को लेकर पिछले करीब 80 दिन से सर्व सेवा संघ के लोगों ने जीतोड़ धरना प्रदर्शन किया। जमीन के कई कागज भी दिखाए, मगर सारे दावे नकार दिए गए।

22 जुलाई को खाली कराया था परिसर
बुलडोजर और पुलिस बल के साथ सर्व सेवा संघ परिसर पहुंचे प्रशासनिक और रेलवे के अधिकारियों ने 22 जुलाई को सामान बाहर निकलवा दिया था। लाइब्रेरी की काफी किताबें बाहर फेंक दी गईं थीं। 8 लोगों को हिरासत में ले लिया गया था।

शांति भंग में चालान किया गया। यहां के करीब 50 आवास और चार संग्रहालयों को खाली कराया। जमीन पर संघ के मालिकाना दावे को जिलाधिकारी कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया था।

इसके बाद रेलवे प्रशासन ने जमीन से कब्जा हटाने और भवन ध्वस्त करने का नोटिस चस्पा कर दिया था।