खालिस्तानियों के खिलाफ हो सकती है बड़ी कार्रवाई! ब्रिटेन के पूर्व PM बोरिस जॉनसन ने जारी की रिपोर्ट

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(www.arya-tv.com) खालिस्तानी आतंकी और प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की मौत के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में आई दरार के बाद अब खालिस्तानी उपद्रवियों के खिलाफ ब्रिटेन में बड़ी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है. चूंकि ब्रिटेन ने कनाडा के प्रधानमंत्री के भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि इस साल की शुरुआत में खालिस्तानी तत्वों ने स्वयंभू नेता अमृतपाल सिंह के समर्थन में  यू.के. में भारतीय उच्चायोग में तोड़फोड़ की थी और इससे भारत-ब्रिटेन संबंध प्रभावित हुए थे. घटना के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारतीय मिशन की सुरक्षा का आश्वासन दिया था.यही नहीं इस घटनाक्रम के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा गठित कमीशन की एक स्वतंत्र रिपोर्ट में ब्रिटिश सिख समुदाय के भीतर खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई गई थी. बोरिस जॉनसन द्वारा बनाए गए कमीशन ‘द ब्लूम रिव्यू’ ने प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की थी. जानकारों का कहना है कि भारत और कनाडा के बिगड़ते संबंधों के चलते इस रिपोर्ट पर सुनक सरकार कार्रवाई अमल में ला सकती है और चरमपंथियों पर नकेल कस सकती है.

क्या कहती है बोरिस जॉनसन की ‘द ब्लूम रिव्यू’ रिपोर्ट
रिव्यू में उन गैर-खालिस्तानी सिखों की सुरक्षा का भी मुद्दा उठाया गया है, जिन्हें खालिस्तानी आतंकी जबरन धमकाकर अपने आंदोलन में शामिल करना चाहते हैं. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि कुछ सिख चरमपंथी समूह नफरत फैलाने के लिए गुरुद्वारों का इस्तेमाल कर रहे हैं और भारत विरोधी हिंसात्मक गतिविधियों के लिए पैसा जुटा रहे हैं. भारत विरोधी गतिविधियों के लिए ब्रिटेन की धरती पर ऐसे शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, जहां पर सिख युवाओं का ब्रेनवाश किया जाता है. शिविरों में  कुछ युवाओं को नफरत,आतंक और विभाजन की राह का पालन करने के लिए भर्ती करने की कोशिश की जा रही है.

खालिस्तान कार्यकर्ताओं की विध्वंसक कार्रवाई पर चिंता
रिपोर्ट में सुनक सरकार को सलाह दी गई है कि ऐसे संगठनों को हमारे महान देश में काम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इसमें आगे कहा गया है कि खालिस्तान आदर्शों का प्रचार शांतिप्रिय है और  कुछ खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता इस विध्वंसक, आक्रामक और सांप्रदायिक गतिविधियों का रूप दे रहे हैं. इसे ब्रिटेन की धरती पर बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. केवल मुट्ठी भर सिख ही भारत में विभाजन और घृणा की बात कर रहे हैं. जबकि सिखों की बहुसंख्यक आबादी शांतिप्रिय है लेकिन ये मुट्ठी भर सिख इंग्लैंड में प्रमुख सिख गुरुद्वारों को नियंत्रित करके यहां के धन का दुरुपयोग कर रहे हैं.