हत्या के 42 साल पुराने मुकदमे के दोनों आरोपी ​हुए बरी, मौके पर पलट गया चश्मदीद गवाह

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कानपुर(www.arya-tv.com) कानपुर में ईदगाह के सामने सरेआम हुई हत्या के 42 साल पुराने मुकदमे में अपर जिला जज तृतीय सुंदरलाल ने दोनों आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है। हाईकोर्ट के स्टे के चलते 33 साल तक इस मुकदमे की कार्यवाही रुकी रही थी।

हाता कमाल खां निवासी तौफीक अहमद ने 24 नवंबर 1978 को कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि पिता अब्दुल रशीद की रंजिश में ईदगाह के सामने बाबू पहलवान के पुत्र अकील, फहीम, इरफान, मो.अहमद उर्फ बल्लू तथा उनके रिश्तेदार इरशाद ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

पुलिस ने सभी पांच आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी लेकिन हाईकोर्ट के आदेश से 13 मई 1985 को मुकदमे की सुनवाई पर रोक लग गई। स्टे के 33 साल बाद 18 दिसंबर 2018 को दोबारा सुनवाई शुरू हुई। वादी तौफीक अहमद के दोबारा बयान और जिरह कोर्ट में दर्ज हुई।

तीन आरोपियों अकील, फहीम और इरशाद तथा छह गवाहों की मौत हो चुकी थी और बाकी गवाहों का कोई पता नहीं चल सका था। अभियोजन सिर्फ एक चश्मदीद गवाह कमर अली को कोर्ट में पेश कर सका लेकिन यह गवाह भी बयान से मुकर गया। कोर्ट ने इरफान और मोहम्मद अहमद को बरी कर दिया।