शरीर का नॉर्मल टैंपरेचर 98.6 डिग्री नहीं, हर व्‍यक्ति के लिए होता है अलग-अलग

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(www.arya-tv.com) आमतौर पर माना जाता है कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट मानव शरीर का सामान्य तापमान है. हालांकि, स्टैनफोर्ड मेडिसिन शोधकर्ताओं के हालिया अध्ययन के मुताबिक, हर व्‍यक्ति के लिए शरीर का तापमान दूसरे व्यक्ति से अलग हो सकता है. मानव शरीर के सामान्‍य तापमान पर लिंग, आयु, वजन और लंबाई जैसी चीजों का असर पड़ता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, शरीर के तापमान में पूरे दिन उतार-चढ़ाव होता रहता है. बता दें कि आम लोग ही नहीं, डॉक्‍टर्स भी यही सोचते हैं कि हर व्‍यक्ति का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट होता है. अब कई शोध ने ये साबित किया है कि इस धारणा में खामी है.

पिछले कुछ दशकों में इस बात के प्रमाण बढ़ते जा रहे हैं कि मानव शरीर का औसत तापमान 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट नहीं होता है. इसके बजाय ज्‍यादातर लोगों के सामान्‍य तापमान की आधार रेखा थोड़ी ठंडी होती है. बता दें कि मानव शरीर के सामान्‍य तापमान 98.6 का मानक 150 साल पहले जर्मन डॉ. कार्ल वंडरलिच ने स्थापित की थी. उन्‍होंने करीब 10 लाख से ज्‍यादा लोगों का तापमान मापने के बाद ये मानक तय किया था. इन लोगों का तापमान 97.2 से 99.5 के बीच था, जिसका औसत 98.6 डिग्री फॉरनेहाइट था. हाल में प्रकाशित एक अध्ययन में 2008 और 2017 के बीच 1,26,000 से ज्‍यादा लोगों के तापमान का मूल्यांकन किया गया. इसमें पाया गया कि मानव शरीर का औसत तापमान 97.9 डिग्री के करीब है.

मानव शरीर के तापमान में आई है गिरावट
मानव शरीर का सामान्य तापमान व्यक्ति और स्थिति पर निर्भर करता है. स्टैनफोर्ड में मेडिसिन व महामारी विज्ञान और जनसंख्या स्वास्थ्य की प्रोफेसर जूली पार्सोनेट के मुताबिक, सामान्‍य तापमान बमुश्किल कभी 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट होता है. वह सितंबर 2023 को जामा इंटरनल मेडिसिन में सामने आए शोध की लेखिका हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया में मानव शरीर के सामान्‍य तापमान का बहुत बड़ा डाटा उपलब्‍ध है. इसलिए इसके बारे में सीखने का बहुत मौका है. 19वीं शताब्दी के बाद से हर दशक में सामान्य अमेरिकी व्‍यक्ति के शरीर का औसत तापमान 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट के ऐतिहासिक मानक से करीब 0.05 डिग्री तक गिरा है. अब, ज्‍यादातर लोगों के शरीर का औसत तापमान 97.9 डिग्री फॉरेनहाइट के करीब है.

किन कारकों से प्रभावित होता है तापमान
डॉक्टर्स ने 1868 में किए एक अध्‍ययन में पाया कि पुरुषों और वृद्धों के शरीर का तापमान महिलाओं व युवाओं के मुकाबले कम था. इसके अलावा दोपहर में शरीर का तापमान ज्‍यादा पाया गया. इसी के बाद मानव शरीर के औसत तापमान का मानक 98.6 डिग्री तय किया गया. प्राकृतिक चिकित्सक ली गॉर्डन ने बताया कि मेडिकल ग्रेड बुखार 100.4 डिग्री से ज्‍यादा तापमान पर शुरू होता है. नवजात शिशुओं के शरीर का औसत तापमान आमतौर पर लगभग 99.5 डिग्री होता है. बच्चों के शरीर का औसत तापमान करीब 97.52 डिग्री होता है. अगर कोई बच्चा तीन महीने से छोटा है और उसे 100.4 डिग्री से ऊपर बुखार है या किसी भी उम्र के बच्चे को 104 डिग्री तक बुखार है या उसे बुखार के दौरों का इतिहास है, तो बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें.

‘हर बुखार में दवा देना नहीं होता जरूरी’
शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह समझना जरूरी है कि सभी तरह के बुखार में दवा देना जरूरी नहीं होता है. वयस्कों में कम से कम 100.4 डिग्री का तापमान बुखार होता है. 103.1 डिग्री से ऊपर के तापमान को तेज बुखार की श्रेणी में रखा जाता है. 105.8 डिग्री से ज्‍यादा तापमान को बहुत तेज बुखार माना जाता है. कई कारक शरीर के तापमान की रीडिंग पर असर डाल सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप इसे कहां से लेते हैं. बगल का तापमान मुंह के तापमान की तुलना में अधिक होता है, जो त्वचा से ली गई रीडिंग के मुकाबले अधिक होता है. शरीर के तापमान पर दिन के समय से भी असर पड़ता है. यहां तक ​​कि व्यक्ति के खानपान का भी तापमान की रीडिंग पर असर होता है.

‘शरीर के तापमान की भी होती है एक सीमा’
शरीर के तापमान पर 2019 में समीक्षा पत्र प्रकाशित करने वाले माउंट सिनाई में इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. वलीद जावेद ने कहा कि औसत तापमान को एक डिग्री या उससे नीचे रखने के बजाय इसे एक सीमा के रूप में दिया जाना चाहिए. सीमा तापमान में प्राकृतिक परिवर्तनशीलता को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जो लिंग और उम्र के अनुसार होता है. डॉ. जावेद ने कहा कि जैसे हृदय गति की एक सीमा होती है, वैसे ही रक्तचाप की भी एक सीमा होती है. इसी तरह मानव शरीर के तापमान की भी एक सीमा होती है. साथ ही डॉ. जावेद ने कहा कि बुखार की परिभाषा को बदलने के बजाय समग्र रूप से बुखार पर कम जोर दिया जाए. इसे कई लक्षणों में से एक संकेत के रूप में सोचा जाए.