जी-20 से पहले यूक्रेन की वजह से दोस्‍त रूस ने भारत को डाला बड़ी मुसीबत में, अब क्‍या करेंगे पीएम मोदी, फंसा पेच

International National

(www.arya-tv.com) दो दुश्‍मनों, रूस और यूक्रेन की वजह से भारत बड़ी मुसीबत में घिर गया है। रूस की तरफ से भारत को यह बात स्‍पष्‍ट तौर पर कह दी गई है कि वह जी-20 के साझा बयान में यूक्रेन का जिक्र हरगिज बर्दाश्‍त नहीं करेगा। वहीं यूक्रेन की तरफ से दावा किया जा रहा है कि भारत ने राष्‍ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्‍की के शांति प्रस्‍ताव पर हामी भरी है। जेलेंस्‍की का शांति प्रस्‍ताव क्षेत्रीय अखंडता और परमाणु सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। रूस ने कहा है कि जी-20 के साझा बयान से यूक्रेन वाला पैरा हटाया जाए। वहीं यूक्रेन कह रहा है कि भारत उसके साथ है। अब भारत के सामने बड़ी दुविधा है कि दोस्‍त रूस और दुश्‍मन यूक्रेन से कैसे निबटा जाए।

रूस की वजह से मुसीबत

जी-20 सम्‍मेलन का मेजबान भारत है और इसे देश की विदेश नीति की सबसे बड़ी सफलता करार दिया जा रहा है। रूस में भारत के राजदूत जो देश के विदेश मंत्रालय का प्रतिनिधित्‍व करते हैं, उनका ताजा बयान सिरदर्द बढ़ाने वाला है। राजदूत डेनिस अलीपोव और यूक्रेन के राजदूत, ओलेक्‍स‍ांडर पोलिशचुक पिछले दिनों एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। जी-20 शिखर सम्मेलन से एक हफ्ते पहले इस कार्यक्रम में उनका भाषण दुविधा की बड़ी वजह बन गया है। रूस ने साफ कर दिया है कि वह मेजबान देश और मित्र भारत के लिए एक संयुक्त बयान जारी करना आसान नहीं बनाएगा। जबकि कीव ने युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण में नई भारत की मदद मांगी है।

चीन और रूस हुए एक

इस साल सम्‍मेलन का घोषणापत्र पिछले जी-20 सम्‍मेलन जो इंडोनेशिया के बाली में हुआ था, उससे मेल खाता है। इसके दो पैराग्राफ पिछले साल के घोषणापत्र से लिए गए हैं। इसे पिछले साल नवंबर में जारी किया गया था। रूस और चीन दोनों ने बाली घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष पर दो पैराग्राफों पर सहमति जताई थी। लेकिन इस साल दोनों देशों ने इसे वापस ले लिया है। इस वजह से भारत के लिए इस मुश्किल मुद्दे पर आम सहमति बनाने में कठिनाई हो रही है। इस बात की आशंका है कि यूक्रेन संघर्ष का वर्णन करने के तरीके पर आम सहमति नहीं होने से शिखर सम्मेलन बिना घोषणापत्र के ही खत्‍म हो सकता है।

बातचीत के लिए तैयार रूस

रूस के राजदूत अलीपोव ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा, ‘जी-20 घोषणा पत्र पर कोई आम सहमति नहीं है, खासतौर पर यूक्रेन पैरा से जुड़े एक विशेष एजेंडे पर। इसलिए अगर कोई आम सहमति नहीं है, यदि एजेंडे के सभी अन्य बिंदुओं पर सहमति है और केवल एक पर कोई सहमति नहीं है तो हम इसमें क्या करें? हमारा मानना है कि गैर-सहमति वाले आइटम को हटा देना चाहिए और जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, वित्तीय संकट और खाद्य संकट जैसे सामयिक मुद्दों पर सहमत होना चाहिए, इन सभी बिंदुओं पर हम एकमत हैं। हमने सभी को अंतिम रूप दे दिया है सिवाय यूक्रेन से जुड़े पैरा के।’ अलीपोव का कहना था कि रूस बातचीत के लिए हमेशा रेडी है।

भारत को दिया दोष

अलीपोव के मुताबिक जी-20 का गठन वित्तीय और आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए किया गया था न कि भू-राजनीतिक समस्याओं। वह यह कहने से भी पीछे नहीं हटे कि भारत एक प्रभावशाली देश है मगर अभी तक उसकी तरफ से युद्ध रोकने की दिशा में कोई सृजनात्‍मक प्रस्‍ताव नहीं दिया गया है। दूसरी ओर यूक्रेनी राजदूत पोलिशचुक ने कहा कि यूक्रेन इस युद्ध को जीतकर रहेगा। उन्‍होंने कहा कि भारत ने पहले ही राष्‍ट्रपति जेलेंस्की के शांति सूत्र के दो बिंदुओं पारिस्थितिक सुरक्षा और मानवीय सहायता और खाद्य सुरक्षा के प्रावधान में अपनी भागीदारी की पुष्टि कर दी है।