भगवान विश्वकर्मा को कभी भूला नहीं जा सकता— सशक्त सिंह

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(ARYA NEWS)बिजनौर स्थित आर्यकुल ग्रुप आॅफ कालेज में आज विश्वकर्मा जयंती के दिन विद्यालय प्रांगण में पूजा अर्चना,हवन करके मनाया गया। जिसमें हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। इस अवसार पर विद्यालय के प्रबंध निदेशक सशक्त ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा का सृष्टि के निर्माण में आदि काल से अभूतपूर्व योगदान रहा है इसलिए भगवान विश्वकर्मा के इस कार्य को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने पूर्व की बात करते हुए बताया कि भगवान विश्वकर्मा को निर्माण का देवता माना जाता है।

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पौराणिक काल में देवताओं के अस्त्र-शस्त्र व महलों को भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था। इसके साथ ही इन्होंने सोने की लंका, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, भगवान शिव का त्रिशूल, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, भगवान कृष्ण की द्वारिका नगरी को भी बनाया था। इस वजह से निर्माण और सृजन से जुड़े लोग विश्वकर्मा जयंती को श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं।

17 सितम्बर को ही क्यों मनायी जाती है विश्वकर्मा जयंती

विश्वकर्मा जयंती को लेकर हिन्दू धर्म में कई मान्यताएं हैं। कुछ धर्मपंडितों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म अश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को हुआ था, जबकि कुछ का मानना है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को विश्वकर्मा पूजा करना शुभ होता है। इसलिए विश्वकर्मा पूजा को सूर्य के पारगमन के आधार पर तय किया जाता है। जिसके चलते हर साल 17 सितंबर को ही विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।