अखिलेश यादव से आज मिलेंगे दिल्ली के सीएम:केंद्र के अध्यादेश पर समर्थन मांगेंगे केजरीवाल

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(www.arya-tv.com) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बुधवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे। दरअसल, केंद्र सरकार के दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अध्यादेश लाने के बाद से मुख्यमंत्री केजरीवाल विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हैं। इसके तहत वह कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं।

अखिलेश यादव से मुलाकात के दौरान केजरीवाल केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगेंगे। साथ ही लोकसभा चुनाव, विपक्षी एकता सहित सियासी मुद्दों पर चर्चा भी करेंगे। अखिलेश से मुलाकात के दौरान केजरीवाल के साथ उनका डेलिगेशन यानी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्यसभा सासंद संजय सिंह, राघव चड्ढा भी मौजूद रहेंगे।

हालांकि, केजरीवाल की अखिलेश से मुलाकात का मकसद केंद्र के अध्यादेश को कानून बनने से रोकना है। यह मकसद तभी पूरा हो सकता है, जब केजरीवाल को कांग्रेस का भी सपोर्ट मिले। कांग्रेस के सपोर्ट बिना केंद्र के प्रस्ताव को राज्यसभा में रोकना नामुमकिन है। कांग्रेस के अलावा उनको अन्य सभी विपक्षी दलों का साथ भी चाहिए होगा।

अब जानिए राज्यसभा में सांसदों का समीकरण
राज्यसभा में अध्यादेश कानून आने और उस पर मतदान होने की​ स्थिति में 233 सांसद वोट करेंगे। यानी अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए 117 सांसदों का समर्थन होना किसी भी पक्ष के लिए जरूरी है। राज्यसभा में भाजपा के अकेले 92 सांसद हैं। साथ ही उसे अपने सहयोगी दलों के कुछ सांसदों का समर्थन भी हासिल है। इसके बावजूद भाजपा को विपक्षी दलों के कुछ ही सांसदों को अपने खेमे में करने की जरूरत है।

वहीं, AAP के राज्यसभा में तीन सांसद हैं। भाजपा के बाद राज्यसभा में सबसे ज्यादा 31 सांसद कांग्रेस के हैं। यानी कांग्रेस का समर्थन हासिल किए बगैर सीएम अरविंद केजरीवाल किसी हालात में केंद्र सरकार की सियासी मुहिम को विफल करने की स्थिति में नहीं होंगे। राज्यसभा में सपा के केवल आठ सांसद हैं। हालांकि, ये सांसद संख्या के लिहाज से काफी मायने रखते हैं। लेकिन सपा के दम पर भाजपा की रणनीति फेल करना संभव नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने जारी किया था अध्यादेश
दरअसल, दिल्ली सरकार की शक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 19 मई को अध्यादेश जारी कर दिया। ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार फिर से उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में आ गया। हालांकि यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ था। इसी अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले है।