गोफर्स्ट से एयरक्राफ्ट वापस नहीं ले पाएंगी लीज वाली कंपनियां

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www.arya-tv.com) गो फर्स्ट एयरलाइन को लीज पर विमान देने वाले कंपनियां यानी लेसर्स अपने विमान वापस नहीं ले पाएंगे। सोमवार को NCLAT यानी नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने NCLAT के आदेश को बरकरार रखा है। NCLT ने एयरलाइन को राहत देते हुए मोरेटोरियम की मांग को मान लिया था। मोरेटोरियम यानी लेनदार किसी भी लोन के मामले में कोई लीगल एक्शन नहीं ले सकते।

अपीलेट ट्रिब्यूनल ने कहा कि लेसर्स NCLT के समक्ष एयरक्राफ्ट की लीज को खत्म करने का दावा करने के लिए स्वतंत्र थे। लेसर्स ने कहा कि जब एनसीएलटी ने गो फर्स्ट की स्वैच्छिक दिवाला याचिका को स्वीकार किया तब उन्हें ठीक से नहीं सुना गया। मोरेटोरियम के खिलाफ अपीलेट ट्रिब्यूनल में जाने वाले लेसर्स में एसएमबीसी एविएशन कैपिटल, जीवाई एविएशन, एसएफवी एयरक्राफ्ट होल्डिंग्स और इंजन लीजिंग फाइनेंस बीवी शामिल है।

गो फर्स्ट के ऑपरेशन जारी रखने की अनुमति
अपीलेट ट्रिब्यूनल ने इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अभिलाष लाल को एनसीएलटी के आदेश के अनुसार गो फर्स्ट के ऑपरेशन जारी रखने की भी अनुमति दी है। NCLT की दो सदस्यीय बेंच ने कर्ज में डूबी कंपनी को चलाने के लिए अभिलाष लाल को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया था। वो एयरलाइन को रिवाइव करने के लिए मैनेजमेंट संभालेंगे।

मई के अंत तक शुरू हो सकती है फ्लाइट
सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार गो फर्स्ट मई के अंत या 15 जून तक शुरू हो सकती है। एयरलाइन को हाई वॉल्यूम रूट्स जैसे दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-बेंगलुरु और दिल्ली-चेन्नई पर चलाया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार गो फर्स्ट 10 से कम विमानों के छोटे बेड़े के साथ घरेलू उड़ानों को फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा है। इंटरनेशनल ऑपरेशन जून के अंत तक शुरू हो सकते हैं।

अब तक क्या-क्या हुआ?
1. फ्लाइट को अचानक सस्पेंड किया

गो फर्स्ट एयरलाइन ने 2 मई 23 को अचानक ऐलान किया कि वो अपनी फ्लाइट्स 3, 4 और 5 मई के लिए कैंसिल कर रही है। इसके बाद फ्लाइट सस्पेंशन बढ़ाकर 9 मई कर दिया गया। फिर इसे 12 मई, 19 मई, 23 मई और 26 मई कर दिया गया। एयरलाइन के पास फ्यूल भराने का भी पैसा नहीं है। गो फर्स्ट की वेबसाइट के अनुसार एयरलाइन एक समय रोजाना 27 डोमेस्टिक और 8 इंटरनेशनल डेस्टिनेशन के लिए 200 से ज्यादा फ्लाइट ऑपरेट करती थी।

2. दिवाला याचिका लेकर एयरलाइन NCLT पहुंची
फ्लाइट्स कैंसिल करने के तुरंत बाद गो फर्स्ट स्वैच्छिक दिवाला याचिका लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी NCLT पहुंची। NCLT ने 4 मई को इस मामले की सुनवाई की। एयरलाइन ने इंटरिम मोरेटोरियम की मांग की। गो फर्स्ट को लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाली फर्म्स ने NCLT से कहा कि उन्हें एयरलाइन की इंटरिम मोरेटोरियम की मांग पर आपत्ति है। मोरेटोरियम के गंभीर परिणाम होंगे। वे अपने विमान को वापस नहीं ले पाएंगे। NCLT ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

3. NCLT ने मानी एयरलाइन की मोरेटोरियम की मांग
10 मई को NCLT ने एयरलाइन को राहत देते हुए मोरेटोरियम की मांग को मान लिया। जस्टिस रामलिंगम सुधाकर और एलएन गुप्ता की दो सदस्यीय बेंच ने कर्ज में डूबी कंपनी को चलाने के लिए अभिलाष लाल को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल यानी IRP नियुक्त किया। वो एयरलाइन को रिवाइव करने के लिए मैनेजमेंट संभालेंगे। गो फर्स्ट के सस्पेंडेड बोर्ड को नियमित खर्च के लिए 5 करोड़ रुपए भी जमा कराने होंगे।

एयरलाइन पर लेनदारों का 11,463 करोड़ रुपए बकाया
गो फर्स्ट ने अपनी एप्लिकेशन में कहा था कि उसने अप्रैल 2020 से अब तक अपने लेनदारों को 19,980 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। अब उसके सभी फाइनेंशियल रिसोर्स खत्म हो चुके हैं। बैंकों, वित्तीय संस्थानों, वेंडर्स और एयरक्राफ्ट लेजर्स सहित अन्य लेनदारों को उसे 11,463 करोड़ रुपए देना है। गो फर्स्ट ने कहा कि वित्तीय दबाव के कारण फ्यूल सप्लायर सहित अन्य सर्विस प्रोवाइडर उसे अपनी सर्विसेस ऑफर करने को तैयार नहीं हैं।

इंजन सप्लाई नहीं होने से इस हालत में पहुंची एयरलाइन
एयरलाइन ने कहा था कि वो इंजनों की सप्लाई नहीं होने से इस हालत में पहुंची है। अमेरिका के एयरक्राफ्ट इंजन मैन्युफैक्चरर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) को गो फर्स्ट को इंजन की सप्लाई करनी थी, लेकिन उसने समय पर इसकी सप्लाई नहीं की। ऐसे में गो फर्स्ट को अपनी फ्लीट के आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े। इससे उसे भारी नुकसान हुआ। एयरलाइन के A20 नियो एयरक्राफ्ट में इन इंजनों का इस्तेमाल होता है।

एयरलाइन का पेमेंट नहीं करने का लंबा इतिहास
गो फर्स्ट को लेकर उसके इंजन सप्लायर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) का बयान भी सामने आया है। PW ने कहा कि गो फर्स्ट का समय पर पेमेंट नहीं करने का लंबा इतिहास रहा है। अब ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया है, इसीलिए आगे कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।