अमेरिका में महामारी के बीच घर लौटे युवा वापस जाने लगे, तो माता-पिता को फिर सताने लगा अकेलापन

Environment Health /Sanitation International

(www.arya-tv.com)अमेरिका में महामारी के बीच स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई करने वाले लाखों युवा दूसरे राज्यों से घर आ गए थे लेकिन अब जब हालात सामान्य हो चुके हैं, तो वे फिर एक बार लौटने लगे हैं। इससे उनके माता-पिता, जो पिछले डेढ़ साल से उनके साथ रह रहे थे, अब उन्हें फिर से अकेलेपन ने घेर लिया है। कैलिफोर्निया में रह रहीं क्रिस्टीन मस्तेज का इकलौता 20 साल का बेटा जेरेमी मार्च 2020 से ही उनके साथ रह रहा था।

महामारी के दौरान उसकी पूरी पढ़ाई ऑनलाइन हुई। लेकिन अब वह अपने एरिना कॉलेज लौट चुका है। वो कहती हैं-‘अब जब वह घर पर नहीं है, तब हमें महसूस हो रहा है कि अकेलापन क्या होता है। जब वह साथ था, तब हमने हर पल को अच्छे से जिया। हमने साथ मूवी देखी और कई मुद्दे पर रोज बातचीत भी की लेकिन अब वह एरिजोना लौट चुका है। हम उसे मिस कर रहे हैं। हमारा घर फिर से खाली लगने लगा है। इससे बहुत तकलीफ होती है।’

पीईडब्ल्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे में पाया गया है कि सितंबर 2021 तक 18 से 29 साल के बीच के 2 करोड़ 60 लाख युवा यानी कुल आबादी के करीब 52 फीसदी युवा अपने माता-पिता के साथ लॉकडाउन में वापस रहने आ गए थे। क्योंकि अब अमेरिका पूरी तरह मास्क फ्री हो गया है और वैक्सीनेशन की रफ्तार भी कमोबेश सभी राज्यों में तेज कर दी गई है, तो उनकी वापसी जारी है। इसका मुख्य कारण यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में ऑफलाइन पढ़ाई का फिर से शुरू होना भी है। कामकाजी युवा भी काम पर दूसरे शहरों में लौट गए हैं।

मस्तेज की तरह और भी अभिभावक हैं, जिन्हें बच्चों के जाने के बाद घर खाली-खाली सा लग रहा है। महामारी के बीच बीते करीब डेढ़ साल वे बच्चों के साथ रहे, लेकिन अब बिल्कुल अकेले हैं। इसका असर भी उन पर दिखने लगा है। वे अब अवसाद के शिकार हो रहे हैं।

लॉन्ग आइसलैंड में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट लिंडा सपादीन कहती हैं, ‘इन डेढ़ सालों में हमने बच्चों के लौटने से अमेरिकी घरों में जगह की कमी, बहस-झगड़े और दूसरे व्यावहारिक विवादों से जुड़ी खबरें पढ़ी-सुनी हैं, लेकिन इसका एक पक्ष यह भी है कि बच्चों के होने से बुजुर्ग माता-पिता को उनके साथ बॉन्डिंग बनाने में भी काफी मदद मिली। यह उनके लिए अचानक मिला ऐसा मौका था जिसमें वे अपने बच्चों से रिश्तों को सुधार सकते थे।’

मैनचेस्टर के रहने वाले केटी कॉलिन्स ने पत्नी केली और बेटी लीजा के साथ लंबा वक्त गुजारा, लेकिन 11 महीने साथ रहने के बाद लीजा का लौटना उन्हें परेशान कर रहा है। वे कहते हैं, ‘ये सही है कि मेरी बेटी अब 22 साल की हो चुकी है और अपना भविष्य गढ़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है, लेकिन उसका जाना हम दोनों को काफी परेशान कर रहा है। जाने से पहले वह किचन में तकरीबन एक घंटे तक रोई थी। बहुत समझाने के बाद वह जा पाई। लेकिन हम अब खुद को यह नहीं समझा पा रहे हैं कि हम घर में अकेले रह गए हैं।’

इसी तरह वेरमॉन्ट की केली सलासिन के बच्चे, जो 20 और 25 साल के हैं, अपने घर वॉशिंगटन और बरलिंग्टन लौट चुके हैं। पेशे से लेखक केली को अब उनका खाली घर अच्छा नहीं लगता। वे कहती हैं, ‘लंबे वक्त तक बच्चों की आवाज से ही हमारी सुबह होती थी। ऐसा लगता था कि जैसे मैं अभी भी अपने कॉलेज के हॉस्टल में हूं। लेकिन अब सन्नाटा है। मैं और मेरे पति अब सिर्फ बीते समय को याद करते दिन गुजार रहे हैं। हमारे पास डेढ़ साल की यादें हैं। उम्मीद है इससे वक्त कट जाएगा।’

‘अपना ध्यान रखना’ से खत्म हो रही है बच्चों से फोन पर बातचीत
कई एशियाई परिवारों के साथ काम कर रहीं सोशल वर्कर कैरी तबग बताती हैं, ‘एशियाई लोगों पर हुए हालिया हमले के बाद कई परिवार दूसरे शहर जा चुके अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। जूम या फोन पर बात करते हुए पहले उन्हें अंत में ‘हम तुम्हें बहुत प्यार करते हैं’ कहते हुए सुना जाता था लेकिन अब वे कहते हैं- ‘अपना ध्यान रखना’। इसी तरह वापस लौट चुके बच्चे भी माता-पिता की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

तबग के मुताबिक, ज्यादातर माता-पिता अवसाद से घिरे हुए हैं। उनकी दिनचर्या में भी काफी बदलाव आया है। वे ज्यादा समय सो रहे हैं, उनके खाने-पीने का समय भी अव्यवस्थित होता दिख रहा है। उनकी निराशा चेहरे से साफ झलक रही है। और यह सब बीते दो हफ्तों में हुआ है।