शहर का नाम बदला, लेकिन इलाहाबादी अमरूद की पहचान पुराने नाम से ही मशहूर

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(www.arya-tv.com) इलाहाबादी अमरूद सिर्फ प्रयागराज ही नहीं बल्कि देश-दुनिया में मशहूर है। शहर का नाम इलाहाबाद से प्रयागराज कर दिया गया, लेकिन यह इलाहाबादी अमरूद अपने पुराने नाम से मशहूर है। इस समय सेब से दोगुने दाम पर इलाहाबादी अमरूद बिक रहा है। सेब इस समय 50 रुपए किलो है तो इलाहाबादी अमरूद 100 रुपए किलो। पत्थर गिरजाघर के पास सड़क किनारे अमरूद की 15 से ज्यादा दुकानें हैं, जहां सुबह से लेकर देर शाम तक लग्जरी गाड़ियां अमरूद के लिए रुकती हैं। यहां आने वालों की पहली पसंद इलाहाबादी अमरूद की होती है।

सेब की तरह दिखता है सेबिया अमरूद
इलाहाबादी अमरूद की ही एक वैराइटी सेबिया अमरूद को देखकर अचानक लोगों को लगता है कि यह तो सेब है। लेकिन, फिर ध्यान से देखने पर पता चलता है कि यह सेबिया अमरूद है। यह ऊपर से लाल रंग में होता है, बिल्कुल सेब की कलर में। यहां अमरूद बेच रहे बबलू सोनकर बताते हैं कि सेबिया अमरूद को खरीदने के लिए बहुत लोग आते हैं। गब्बर सोनकर कहते हैं कि मैं 10 साल से यहां इलाहाबादी अमरूद बेच रहा हूं। वह कहते हैं कि सूर्खा और ललबुजिया अमरूद के साथ-साथ इलाहाबादी अमरूद की मांग ज्यादा होती है। नितिन सोनकर बताते हैं कि यह अमरूद खाने में बहुत मीठा होता है। खुशी यह है कि हमारा यह अमरूद पूरे देशभर में जाता है।

मिठाई नहीं इलाहाबादी अमरूद मांगते हैं रिश्तेदार
अल्लापुर की रहने वाली अल्का श्रीवास्तव पत्थर गिरजाघर के पास इलाहाबादी अमरूद खरीद रही थीं। उन्होंने बताया कि उनके रिश्तेदार दिल्ली जा रहे हैं। उनकी ट्रेन प्रयागराज जंक्शन होकर गुजरेगी, तो फोन कर उन्होंने कहा, मिलने के लिए आते समय मिठाई नहीं बल्कि इलाहाबादी अमरूद लेकर आना। इसीलिए अमरूद खरीद रही हूं। इसी तरह शिक्षक राकेश सिंह कहते हैं कि रिश्तेदार जब भी बाहर से आते हैं तो वह इलाहाबादी अमरूद ही मांगते हैं।

स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है यह अमरूद
मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल के फिजिशियन डॉ. केके मिश्रा बताते हैं यहां का अमरूद खाने में मीठा तो होता है। साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। यह एक ऐसा फल है जिसमें शरीर के लिए जरूरी विटामिन और मिनरल्स काफी मात्रा में पाए जाते हैं। यह पेट के साथ हार्ट के लिए भी लाभकारी होता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी बढ़ती है।

सऊदी और पाकिस्तान भी भेजा जाता है अमरूद
सब्जी मंडी संघ के अध्यक्ष सतीश कुशवाहा बताते हैं कि सऊदी और पाकिस्तान में इलाहाबादी अमरूद की डिमांड रहती है। ये अमरूद चार से पांच दिन तक खराब नहीं होता। यहां से दिल्ली जाता है और दिल्ली से पैकिंग होकर यह अन्य देशों में भेजा जाता है। प्रयागराज में इसके रेट 100 रुपए किलो हैं तो अन्य देशों में इसकी कीमत लगभग दोगुनी हो जाती है। कई अमरूद का वजन लगभग एक किलोग्राम तक होता है।

कोरोना में खूब बिके थे अमरूद
अमरूद विक्रेता बबलू साेनकर बताते हैं कि कोरोना काल में इस अमरूद की डिमांड बहुत बढ़ गई थी। दूर दराज से लोग यहां अमरूद खरीदने के लिए आते थे। इस सीजन में अमरूद की खपत ज्यादा होती है। 40-50 कैरेट अमरूद सिर्फ पत्थर गिरजाघर के पास लगी दुकानों से बिक जाते हैं।