काशी में भारत का सबसे एडवांस जेम टेस्टिंग लैब; अब तक सिंगापुर जा रहे थे

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(www.arya-tv.com)  काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में भारत के सबसे एडवांस जेम टेस्टिंग लैब की शुरुआत हो गई है। यहां पर सोना, चांदी, हीरा-पन्ना जैसे बेशकीमती पत्थरों की जांच हो सकेगी। यहां पर इनकी शुद्धता का एक सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा, जिसको ग्लोबल अप्रूवल होगा। यानी कि भारत में बने रत्नों और आभूषणों को विदेशी बाजार में बिना किसी हिचक के एक्सपोर्ट किया जा सकता है। भारत के बेशकीमती रत्नों को ग्लोबल स्तर पर मान्यता मिलेगी। अब तक ऐसे ही सर्टिफिकेट के लिए दूसरे देश खासतौर पर सिंगापुर की लैब पर निर्भरता थी।

10 मिनट में पता चलेगा कि प्योरिटी कितनी है
बड़ी बात ये भी है कि लैब में साइंटिस्ट, बिजनेसमैन से लेकर आम आदमी, सभी आ सकते हैं। उन्हें अपने सैंपल को लेकर सिंगापुर या अमेरिका नहीं जाना होगा। क्वालिटी और प्योरिटी की जांच करा सकते हैं। जैसे कि आपकी गोल्ड या डायमंड की क्वालिटी क्या है? वह किस स्थान से आई है? वह धातु कितनी प्राचीन है? उसके अंदर कौन-कौन से एलिमेंट है और कितने कैरेट सोना है? इन सब सवालों का जवाब आपको महज 10 मिनट के अंदर ही पता लग जाएगा।

क्वालिटी चेक के लिए जारी की रेट लिस्ट
लैब में 3 मशीनें क्वालिटी चेक के लिए लगाई गईं हैं। टेस्टिंग से जुड़ी एक रेट लिस्ट जारी की गई है। यहां पर BHU के रिसर्च-प्रोफेसर, नॉन-BHU के साइंटिस्ट और इंडस्ट्री इन सबके लिए अलग-अलग रेट तय किए गए हैं।

रत्नों को गैस में बदलकर करती है जांच
लैब में कार्यरत साइंटिस्ट डॉ. विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि यहां पर लगी टेस्टिंग मशीन आपके बेशकीमती रत्न का नैनो टुकड़ा लेकर उसे गैस फॉर्म में कनवर्ट करता है। इसके बाद उस पर इलेक्ट्रौ मैग्नेटिक लेजर मशीन ये तरह-तरह की किरणें गुजारी जाती हैं। इसके बाद उस धातु पर आए इफेक्ट को डिस्प्ले कर एनालिसिस की जाती है।

हर वस्तु की होती है खास पहचान
साइंटिस्ट डॉ. विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि हर एक वस्तु का एक फिंगर प्रिंट यानी कि उनकी खास पहचान होती है। इसे CNSOH कहते हैं। कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन। ये एक केमिकल कैरेक्टर है जो कि धरती के हर लिविंग और नॉन लिविंग वस्तुओं में पाई जाती है। इस मशीन में इसी केमिकल एलीमेंट यानी कि आइसोटोप की टेस्टिंग की जाती है। हर जगह की लिविंग या नॉन लिविंग चीजों पर वहां के भौगोलिक और जलवायु का सीधा-सीधा प्रभाव पड़ता है। उस वस्तु पर मौसम का क्या-क्या प्रभाव पड़ा है। हजारों साल में जलवायु में क्या-क्या बदलाव हुए हैं, वह सब कुछ बता सकेंगे।