मार्च के बाद दुर्ग और लखनऊ में सिर्फ दो-दो बच्चे गोद लिए गए

Lucknow

(www.arya-tv.com)कोरोना के चलते देश में बच्चों के एडॉप्शन में कमी आई है। मार्च के बाद एडॉप्शन का काम कुछ समय के लिए रोक दिया गया था। अब इसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई जा रही है। देश के अलग-अलग सेंटरों में चंद बच्चों का ही एडॉप्शन हुआ है। हजारों बच्चे वेटिंग लिस्ट में हैं।

सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) के मुताबिक, अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 3 हजार 531 बच्चों का एडॉप्शन हुआ था। इनमें 2 हजार 61 लड़कियां और 1 हजार 470 लड़के शामिल थे। मार्च के बाद कितने बच्चों का एडॉप्शन हुआ है, इसका ऑफिशियल आंकड़ा अभी जारी नहीं हुआ है।

लखनऊ के चारबाग से दो किलोमीटर दूर राजेंद्र नगर के मोती नगर इलाके में बाल शिशु केंद्र एडॉप्शन सेंटर है। यहां गेट के सामने सैनिटाइजर रखे हैं। कोरोना प्रोटोकॉल के पोस्टर लगे हैं। यहां काम करने वाली शिल्पी सक्सेना बताती हैं कि बच्चे को एडॉप्ट करने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है। मार्च के बाद कोरोनावायरस की वजह से कुछ दिनों तक एडॉप्शन की प्रक्रिया को रोक दिया गया था। लॉकडाउन खुलने के बाद फिर से कारा की वेबसाइट चालू की गई है। मार्च के बाद केवल 2 बच्चे ही अडॉप्ट किए गए हैं। इनमें आंध्र प्रदेश के परिवार ने दो साल और मुंबई के परिवार ने 3 साल की बच्ची को एडॉप्ट किया है।

मोती नगर के बाल शिशु केंद्र पर मौजूदा समय में 6 बच्चे वेटिंग में हैं। शिल्पी बताती हैं कि कोविड-19 की वजह से कुछ नियम बदले गए हैं, जो कि कारा की वेबसाइट पर मौजूद हैं। जो भी परिवार बच्चे को एडॉप्ट करने आता है, उसे कोरोना टेस्ट कराना पड़ता है। अडॉप्ट करने वाला सदस्य वेबसाइट पर आवेदन करता है। इसके बाद उसका वेरिफिकेशन किया जाता है। उन्होंने बताया कि कोरोना से पहले जो परिवार बच्चे एडॉप्ट करते थे। वह 3 से 4 दिन बच्चे के साथ सेंटर पर ही वक्त बिताते थे। जिससे उन्हें यह पता चल जाता था बच्चे को खाने में क्या पसंद है। इसके लिए वह सेंटर के पास में होटल में ही रुकते थे।