BBAU में ग्रामीण ​महिलाओं के पोषण पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

Lucknow

(www.arya-tv.com) पोषण माह के अंतर्गत बी. बी. ए. यू. कुलपति आचार्य संजय सिंह के संरक्षण में, राष्ट्रीय महिला आयोग, नई दिल्ली के सहयोग से “भारत में ग्रामीण महिलाओं के लिए पोषण संबंधी स्वास्थ्य, कम लागत वाला आहार और पोषण” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। जिसमें देश के विभिन्न स्थानों से एन सी सी कैडेटों, एन सीसी अधिकारीयों, विवि द्वारा गोद लिए गए 5 गांवों के प्रधान एवं ग्रामीण महिलाओं सहित 400 से ज्यादा लोगों ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज की।

लखनऊ की 20 यूपी गर्ल्स बटालियन एनसीसी, 67 यूपी एन सी सी बटालियन और विश्वविद्यालय की आधारभूत सुविधाओं की समिति, जेंडर चैंपियन समिति, आज़ादी का अमृत महोत्सव समिति, उन्नत भारत अभियान समिति के संयुक्त तत्वावधान में इस वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आयोजन मंडल के सदस्य प्रो0 कमल जायसवाल, प्रो0 नवीन अरोरा, प्रो0 शिल्पी वर्मा, कैप्टन (डॉ0) राजश्री एवं ले (डॉ0) मनोज डडवाल रहे।

कार्यक्रम का संचालन 20 यू पी गर्ल्स बटालियन की एसोसिएट एन सी सी अधिकारी कैप्टन (डॉ0) राजश्री ने किया और पोषण माह क्यों मनाया जाता है इस पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम की शुरुआत, 67 बटालियन के लेफ्टिनेंट डॉ मनोज कुमार डडवाल के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद उन्होंने सभी के सामने विश्वविद्यालय द्वारा समाज और ग्रामीणों के उत्थान में की जाने वाली गतिविधियों को सबके सामने प्रस्तुत किया।

प्रो0 राणा प्रताप सिंह ने भोजन में विषाक्तता की बढ़ती समस्या पर चर्चा
प्रो0 राणा ने ​कहा कि स्वस्थ आहार लेने की दिशा में हमे अपनी कृषि की बदलती व्यवस्था में सुधार की ज़रूरत है। कीटनाशकों के छिड़काव ने हमारे भोजन को ज़हरीला बना दिया है जिसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, इसमें सुधार की अत्यंत आवश्यकता है।

जेंडर चैंपियन समिति की अध्यक्षा प्रो शिल्पी वर्मा ने पोषण माह में राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली द्वारा की जा रही गतिविधियों की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाएं कम खर्च में उपलब्ध होने वाली सब्जियों और फलों के सेवन से भी पोषण संतुलन का ध्यान दे सकती हैं।

वेबिनार की वक्ता डॉ0 स्वस्ति तिवारी, पीजीआई, लखनऊ ने किशोरियों में पोषणयुक्त आहार की आवश्यकता पर चर्चा
उन्होंने ​​कहा कि कम खर्च वाली, आसानी से उपलब्ध होने वाले आहार जैसे चना, रागी, हरि सब्ज़ियां, छोले, सोयाबीन, दाल, मौसमी फल के सेवन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि शोध में पाया गया है कि ग्रामीण महिलाओं में कम वजन की समस्या शहरी महिलाओं की तुलना में कहीं ज्यादा होती है। बीएमआई कम होने से गर्भ धारण के दौरान महिलाओं को ज्यादा समस्या होती है और ऐसी महिलाओं के शिशु भी आसानी से कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, इसलिए किशोरावस्था के समय से ही लड़कियों के पोषण का अधिक ध्यान रखना ज़रूरी है। किशोरियों में माहवारी के दौरान मानसिक और शारीरिक दोनों ही प्रकार की समस्या आती है इसलिए 10 साल के बाद से ही लड़कियों का आहार संतुलित होना चाहिए।

आयोजन मंडल के सदस्य प्रो0 कमल जायसवाल ने वायरस और संक्रमण से बचाव में स्वस्थ आहार की भूमिका पर चर्चा करते हुए बताया कि कोवीड से लड़ने के लिए सभी को अपने आहार संतुलन से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा.

मिस अर्पिता पाल, न्यूट्रिशन ऑफिसर, यूनिसेफ, ने बताया कि नवजात शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को कम करना है तो गर्भवती महिलाओं के आहार पर अधिक ध्यान देना होगा। गर्भावस्था के शुरुआती तीन माह में ही यदि महिला अपने वजन को बढ़ा पाती है तो यह शिशु के विकास में काफी मददगार होता है। इसके साथ ही शिशु के जन्म के बाद भी माता का विशेष ध्यान रखना होता है । स्तनपान करा रही महिला को पहले की तुलना में अधिक आहार लेना ज़रूरी होता है। स्वस्थ समाज के लिए किशोरावस्था से ही लड़कियों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। इस दिशा में सरकार की योजना जैसे मातृ वंदन योजना, एनीमिया मुक्त भारत की भी जानकारी दी।

डॉ0 विजयता सेंगर, एमएसयूबी, वड़ोदरा, गुजरात, ने कोरोना काल में कैसे आहार लेना चाहिए, इस पर चर्चा की। उन्होंने कोरोना को खुद से दूर रखने के लिए विटामिन डी, ए, बी, सी और जिंक के सेवन की बात कही। उन्होंने बताया कि अगर हम कोरोना को खुद से दूर रखना चाहते हैं तो हमें खुद की इम्युनिटी को बढ़ाना होगा। उन्होंने फलों, हरी सब्जियों, सूखे मेवों, सलाद और भरपूर मात्रा में पानी के सेवन की बात कही। उन्होंने विटामिन बी 2, बी 3 और बी 6 के सेवन की बात कही जिसकी कमी से हमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

उन्नत भारत अभियान के अध्यक्ष प्रो0 नवीन अरोरा ने बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में महिलाओं का योगदान 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है। वे अर्थव्यवस्था में योगदान के साथ ही राष्ट्रनिर्माण में भी योगदान देती हैं मगर महिलाओं के साथ ही अक्सर असमान व्यवहार होता है। अभी भी हमारे समाज में पूरे परिवार को खिलाने के बाद ही महिला अपना आहार लेती है। उन्होंने 2030 के सतत विकास के लक्ष्य के दूसरे सबसे अहम मुद्दे “ज़ीरो हंगर” और “हिडेन हंगर” के बिंदुओं पर भी चर्चा की और कहा कि कोरोना ने हमारे ज़ीरो हंगर के लक्ष्य को पाना और भी मुश्किल कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की अधिकांश आबादी में विटामिन और मिनरल्स की काफी कमी पाई जाती है, यह हिडेन हंगर की श्रेणी में आता है इसपर भी ध्यान देना ज़रूरी है।

कार्यक्रम के अंत में डॉ0 कोमल सिंह ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।