लोहड़ी का पर्व, इन गीतों के बिना क्यों माना जाता है अधूरा

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(www.arya-tv.com) लोहड़ी पंजाब की लोक संस्कृति, आपसी मेल-जोल और हर्षोल्लास का पर्व है। लोहड़ी का त्योहार खासकर पंजाब, हरियाण, दिल्ली के क्षेत्रों में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन पहले हर साल की तरह इस साल भी लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी। लोहड़ी को लेकर कई लोक कथाएं और लोक गीत प्रसिद्ध हैं।

लेकिन पंजाब के लोक नायक दुल्ला भट्टी और सुंदरिये-मुंदरिये के गीत के बिना लोहड़ी अधूरी है। इसके अलाव लोहड़ी के दिन लोहड़ी मांगने का भी रिवाज होता है। जो लड़कियां और बच्चे तरह-तरह के गीत गा कर मांगते हैं। आइए जानते हैं लोहड़ी पर गाये जाने वाले कुछ प्रसिद्ध लोक गीतों के बारे में जिनके बिना लोहड़ी का त्योहार अधूरा है।

लोहड़ी के प्रसिद्ध लोक गीत –

1-लोहड़ी का सबसे प्रसिद्ध लोक गीत –

सुंदर मुंदरिए – हो तेरा कौन विचारा-हो

दुल्ला भट्टी वाला-हो

दुल्ले ने धी ब्याही-हो

सेर शक्कर पाई-हो

कुडी दे बोझे पाई-हो

कुड़ी दा लाल पटाका-हो

कुड़ी दा शालू पाटा-हो

शालू कौन समेटे-हो

चाचा गाली देसे-हो

चाचे चूरी कुट्टी-हो

जिमींदा मीं रां लुट्टी-हो

जिमींदा मीं रा सदाए-हो

गिन-गिन पोले लाए-हो

इक पोला घिस गया जिमींदा मीं र वोट्टी लै के नस्स गया – हो!

2- लोहड़ी मांगने का गीत –

‘पा नी माई पाथी तेरा पुत्त चढेगा हाथी हाथी

उत्ते जौं तेरे पुत्त पोत्रे नौ!

नौंवां नौं वां दी कमाई तेरी झोली विच पाई

टेर नी माँ टेर नी

लाल चरखा फेर नी!

बुड्ढी साँस लैंदी है

उत्तों रात पैंदी है

अन्दर बट्टे ना खड्काओ

सान्नू दूरों ना डराओ!

चारक दाने खिल्लां दे

पाथी लैके हिल्लांगे

कोठे उत्ते मोर सान्नू

पाथी देके तोर!

3- लोहड़ी का बधाई गीत –

‘कंडा कंडा नी लकडियो

कंडा सी

इस कंडे दे नाल कलीरा सी

जुग जीवे नी भाबो तेरा वीरा नी,

पा माई पा,

काले कुत्ते नू वी पा

काला कुत्ता दवे वदाइयाँ,

तेरियां जीवन मझियाँ गाईयाँ,

मझियाँ गाईयाँ दित्ता दुध,

तेरे जीवन सके पुत्त,

सक्के पुत्तां दी वदाई,

वोटी छम छम करदी आई।’