(www.arya-tv.com) भारत व तिब्बती के मैत्री संबंध के साथ विश्वास की भी मजबूत डोर भी बंधी हुई है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर के तिब्बती बुद्ध मंदिर स्थित बोधिसत्व स्तूप व शा-खङ्ग में तिब्बत के ल्हासा से लाया गया प्राचीन हस्तलिखित तंत्र व सूत्र की एक प्रति यहां आज भी सुरक्षित है। चीन से सुरक्षा को लेकर तिब्बतियों ने इसे यहां लाकर रखा है।
दलाई लामा कर चुके हैं पूजा
तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा भी यहां आकर इसकी पूजा कर चुके हैं। यहां आने वाले तिब्बती बौद्ध श्रद्धालु इसकी श्रद्धापूर्वक पूजा कर अपने को धन्य समझते हैं। चीन ने जब 1959 में तिब्बत पर अधिकार किया था, उस समय दलाई लामा सहित तमाम लामा व तिब्बती लोगों ने भारत में आकर शरण ली थी। तिब्बत की राजधानी ल्हासा के मठ में सुरक्षित हस्तलिखित बोधिसत्व मंत्र व सूत्र की प्रतियों को उसी समय तिब्बती लोगों ने इसे लाकर सुरक्षा की दृष्टि से धर्मशाला (हिमांचल प्रदेश) में रखा।
तिब्बती बुद्ध मंदिर कुशीनगर के प्रबंधक लामा टेंकयोंग बताते हैं कि बोधिसत्व स्तूप के निकट शा-खङ्ग में 1959 में तिब्बत से लाया गया हस्तलिखित तिब्बती तंत्र व सूत्र की एक प्रति मूल रूप में सुरक्षित रखी गई है। यह 18 वीं सदी में लिखा गया था। यह तिब्बत की सबसे बड़ी धार्मिक धरोहर है।