स्वदेशी मेले से आत्मनिर्भर भारत को नई उड़ान… सीएम योगी की पहल से स्थानीय उत्पादों को बाजार

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर प्रदेश के हर जिले में आयोजित हो रहे स्वदेशी मेले प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देंगे। सरकार का उद्देश्य है कि हर नागरिक अपने स्थानीय उत्पादों को अपनाएं और वोकल फॉर लोकल के मंत्र से आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करे। दीपावली से पहले शुरू हुआ यह अभियान कारीगरों, हस्तशिल्पियों और महिला उद्यमियों के जीवन में समृद्धि ला रहा है।मुख्यमंत्री योगी का मानना है कि स्वदेशी केवल अभियान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की जीवनशक्ति है। यही सोच अब धरातल पर उतर रही है। स्वदेशी उत्पाद अपनाएं, उत्तर प्रदेश को सशक्त बनाएं का नारा आज प्रदेश की नई पहचान बन गया है। स्वदेशी मेलों का मुख्य उद्देश्य स्थानीय उद्योग, कारीगरों और उद्यमियों को बाजार से जोड़ना है। मेले में हस्तशिल्प, माटी कला, खादी, बुनकरी, जूट और कृषि आधारित उत्पादों की बिक्री के साथ ही उपभोक्ताओं को सीधे उत्पादक से खरीदारी का अवसर मिल रहा है। इससे पारदर्शिता बढ़ी है और व्यापार को नई गति मिली है

इस पहल से प्रदेश के प्रत्येक जनपद में करोड़ों रुपये का व्यापार होने की संभावना है। इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को बल मिल रहा है। ग्रामीण युवाओं और महिलाओं में उद्यमशीलता की भावना बढ़ रही है। यूपीआईटीएस जैसे आयोजनों में स्वदेशी उत्पादों की बिक्री ने यह साबित किया है कि स्थानीय उत्पादों के प्रति जनता का विश्वास लगातार बढ़ रहा है।

खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, माटी कला बोर्ड, रेशम विभाग, ग्रामीण आजीविका मिशन, ओडीओपी, सीएम युवा और विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लाभार्थियों को इन मेलों में नि:शुल्क स्टॉल दिए गए हैं। यह कदम न केवल स्थानीय उत्पादन को मंच दे रहा है बल्कि उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और आर्थिक विरासत को नई ऊंचाई पर पहुंचा रहा है।

सांस्कृतिक विरासत को भी सहारा

स्वदेशी मेले केवल व्यापार का मंच नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का माध्यम भी हैं। इसमें लोकगीत, लोकनृत्य और पारंपरिक कला की झलक देखने को मिल रही है। संस्कृति विभाग, युवक मंगल दल, नेहरू युवा केंद्र और स्थानीय संस्थाओं की सहभागिता से यह आयोजन लोक परंपराओं को पुनर्जीवित कर रहे हैं।

उपभोक्ताओं को मिल रहे लाभ

इन मेलों में उपभोक्ताओं को जीएसटी बचत के साथ विशेष दीपावली छूट का लाभ भी मिल रहा है। सीधे उत्पादक से खरीदारी के कारण दामों में पारदर्शिता बनी हुई है। इससे न केवल उपभोक्ता को फायदा हो रहा है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिल रही है।