(www.arya-tv.com) संकट मोचन संगीत समारोह की चौथी निशा में शनिवार को सुर-लय-ताल की त्रिवेणी प्रवाहित हुई। इस दौरान आस्था के स्वरों से हनुमद दरबार गुंजायमान होता रहा और हनुमान दरबार में स्वरों से साधना भी हुई। शाम से ही दरबार में आस्था के स्वरों का नाद शुरू हुआ तो हनुमद दरबार में आस्था के सैकड़ों पग अनवरत पहुंचने लगे। हर हर महादेव के साथ जय हनुमान का उद्घोष हुआ और सुरों से साधना का क्रम शुरू हुआ तो देर रात तक आस्था में रचे पगे स्वरों के साथ कलाकारों ने समा बांध दिया।
निशा का चौथा सोपान उस्ताद मशकूर अली खां का गायन रहा। उनकी गायकी में किराना घराने की पूरी झलक सुनाई पड़ी। पारिवारिक परम्परा से आगत गायन में अपने दादा गुरु अब्दुल करीम खां व अब्दुल बहीद खां के साथ ही पिता पद्मश्री उस्ताद शकूर खां की गायकी का असर बखूबी दिखा। उन्होंने राग मालकौंस की अवतारणा की। उन्होंने इस राग में बिलम्बित झूमरा ताल में कृष्ण माधो राम नाम निर्जन गोविंद गोपाल सुनाया। इसी राग की बढ़त में जब उन्होंने द्रुत तीन ताल में मूरख मन मोरे सुनाया तब श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से प्रस्तुति को वाहवाही दी।