बरेली जेल की 6 माह की CCTV फुटेज निकाली:ताकि पता चले कि अशरफ से कौन-कौन मिला

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(www.arya-tv.com) उमेशपाल हत्याकांड के बाद इस समय बरेली की सेंट्रल जेल सुर्खियों में है। इसी जेल में बाहुबली अतीक अहमद का पूर्व विधायक भाई अशरफ भी बंद है। जेल में बैठकर अशरफ ने 470 KM दूर से उमेश की हत्या कराई। उमेश, प्रयागराज में 14 साल पहले हुए राजूपाल हत्याकांड में गवाह था।जिसे 24 फरवरी को अतीक के गुर्गों ने प्रयागराज में बम बरसाकर और गोलियों से भून दिया।

राजूपाल की हत्या में अतीक और अशरफ मुख्य आरोपी हैं। जेल प्रकरण में 2 सिपाही समेत 6 लोग जेल जा चुके हैं, जबकि जेलर समेत 5 को शासन ने निलंबित कर दिया। जेल के 6 महीने के CCTV फुटेज ऑटो सर्वर सिस्टम से निकाले गए हैं, साथ ही सभी आरोपियों के बैंक खातों की जांच भी शुरू हुई है।

जेल की सलाखों के पीछे से लिखी हत्या की स्क्रिप्ट
11 फरवरी 2023 का दिन था। सूत्रों के मुताबिक, बरेली जेल में अतीक के भाई अशरफ से 9 लोग मिलने पहुंचते हैं। जेल के सिपाही शिव हरि अवस्थी ने यह मुलाकात कराई। इसमें अतीक के बेटे असद की फर्जी आईडी का इस्तेमाल किया गया। 2 घंटे से ज्यादा तक जेल में मुलाकात हुई। अशरफ से VIP जगह पर सारे लोग एक साथ मिले।

जेल के अधिकारियों की साठगांठ थी, जहां अशरफ को मिलवाया जाता है। वहां कैमरा भी नहीं थी। इसमें असद, शूटर विजय उर्फ उस्मान चौधरी, गुड्‌डू मुस्लिम और गुलाम था। इस दौरान अशरफ का साला सद्दाम और उसका दोस्त लल्लागिद्दी भी मौजूद था।

क्या है ऑटो सर्वर, जिसमें अफसर फंस रहे
बरेली सेंट्रल जेल है। पूर्वांचल में नैनी और वेस्ट यूपी में बरेली सबसे महत्वपूर्ण जेल है। जेल में 60 से 100 के बीच CCTV कैमरे लगे हुए हैं। यह कैमरे मुख्य गेट के अंदर, जेल अधीक्षक के कार्यालय के बाहर, चक्र द्वार के बाहर और जेल के प्रमुख रास्तों और हाई सिक्योरिटी बैरक के बाहर हैं। जेल परिसर में ही जेल के सभी कैमरों का कंट्रोल रूम है। जहां से जेल में निगरानी के दावे किए जाते हैं।

CCTV कैमरों का रिकार्ड DVR में हाेता है। DVR में एक माह से 6 माह तक रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है। लेकिन जेलों में जो कैमरे लगे हैं, यह ऑटो सर्वर सिस्टम से कनेक्ट है। सभी जेलों के कैमरे को एक सर्वर से कनेक्ट किया गया है। लखनऊ से भी इस पर नजर रखी जाती है। कई बार सैंपल देखते हुए किसी भी जेल के कैमरों से गतिविधियां देखी जा सकती हैं।

ऑटो सर्वर सिस्टम में कोई भी छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। इसी सिस्टम से 6 महीने तक की CCTV कैमरों की फुटेज जांच कर रही SIT ने अपने कब्जे में ले ली है।

जेलर और डिप्टी जेलर के इशारों पर मिलते थे गुर्गे
6 मार्च को जेल प्रकरण में अशरफ, उसके साले सद्दाम, सिपाही शिव हरि अवस्थी, जेल अधिकारी, लल्लागद्दी और अशरफ से मिलने वाले लोगों पर केस दर्ज किया गया। अभी तक जेल के सिपाही शिवहरि, मनोज गौड़ समेत 6 लोग जेल भेजे जा चुके हैं।

इनमें सिपाही मनोज गौड़ का 3 माह पहले बरेली से पीलीभीत जेल में ट्रांसफर हो गया था। जेल जाने वाले दोनों सिपाहियों से पूछताछ में पता चला है कि अशरफ से जो भी मिलने आता था, इस संबंध में पैसे लेकर मिलाई कराई जाती थी।

इसमें जेल वार्डन, डिप्टी जेलर, जेलर भी शामिल हैं। एक मैसेज दिया जाता था कि अशरफ से मुलाकात होनी है, उसके बाद अशरफ से गुर्गों की बिना रोक-टोक मिलाई होती थी। अशरफ अपने आदमियों को वॉट्सऐप कॉल भी करता था। उमेश पाल की हत्या से पहले भी बरेली जेल से वॉट्सऐप कॉल की गई।

बैंक खातों की जांच भी शुरू
बरेली जेल प्रकरण में दर्ज मुकदमों की SIT जांच कर रही है। इसमें IPS अधिकारी एसपी सिटी राहुल भाटी, एक सीओ, चार इंस्पेक्टर शामिल हैं। 6 माह की फुटेज को बारीकी से देख जा रहा है कि क्या क्या गतिविधियां हुईं? कौन-कौन लोग अशरफ से मिले?

कौन-कौन अधिकारी शामिल हैं? सिपाही से लेकर डिप्टी जेलर, जेलर और जेल अधीक्षक के बैंक खातों की गोपनीय जांच भी शुरू कर दी गई है।