निजी पैथोलॉजी ने जिन 30 लोगों की रिपोर्ट को पॉजिटिव बताया, वो सरकारी जांच में निगेटिव निकले

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(www.arya-tv.com)देशभर में कोरोनावायरस का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। इस दौर में एक तरफ चिकित्सक भगवान का रूप बनकर सामने आ रहे हैं तो दूसरी तरफ कुछ अस्पताल धड़ल्ले से गोरखधंधा चला रहे हैं और आपदा को अपने लिए अवसर में बदल रहे हैं। ताजा मामला कानपुर का है। यहां चर्चित ज्ञान पैथालॉजी लैब में कोरोना निगेटिव को पॉजिटिव बताने का खतरनाक खेल पकड़ा गया है। इस लैब से पॉजिटिव बताए गए 30 लोग सरकारी जांच में निगेटिव मिले हैं। मामले का खुलासा होने के बाद केस दर्ज करने का आदेश दिया गया है।

20 सितंबर को डीएम आलोक तिवारी और सीएमओ डॉ. अनिल कुमार मिश्र ने स्वरूप नगर स्थित ज्ञान पैथालॉजी लैब पर छापा मारा था। लैब की शिकायत एक मरीज ने की थी, जिसे युगांडा जाना था। उसने लैब में जांच कराई और उसे पॉजिटिव रिपोर्ट मिली। उसने दूसरी लैब में भी जांच कराई, जहां वह निगेटिव निकला। उसे कोई लक्षण भी नहीं थे। उसने लैब की शिकायत की।

डीएम खुद जांच करने पहुंचे तो पता चला कि वहां कई मरीजों के नाम-पते और मोबाइल नंबर गलत दर्ज हैं। डीएम तिवारी ने कहा कि गलत रिपोर्ट देना, पॉजिटिव मरीजों के पूरे एड्रेस न लिखना, ज्यादा पैसा लेना जैसी शिकायतें सही मिलीं तो लैब सील कर दी गई थी।

एडीएम सिटी ने बनाई थी तीन सदस्यीय कमेटी
इसके बाद एडीएम सिटी की निगरानी में तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई, जिसमें दो एसीएमओ शामिल किए गए थे। जांच कमेटी ने डिटेल निकाली। जांच में 20 सितंबर से तीन दिन पहले की सभी कोरोना जांचों के रिकॉर्ड लिए गए। कमेटी ने उन सभी मरीजों की दोबारा जांच की है। उसी जांच में 30 पॉजिटिव मरीज निगेटिव मिले।

डीएम बोले- सभी 30 लोग निगेटिव मिले
डीएम आलोक तिवारी का कहना था कि ज्ञान पैथोलॉजी ने जिन 30 लोगों को कोरोना पॉजिटिव बताया था, उनके दोबारा सैंपल लिए गए। आरटीपीसीआर जांच कराई गई। सभी निगेटिव मिले। संभव है कि दो-तीन ऐसे मरीज हों, जो स्वस्थ हो गए हों। पर पूरे 30 पॉजिटिव छह दिन में निगेटिव नहीं हो सकते। सीएमओ को केस दर्ज करने का आदेश दिया है।

गुजरात की निजी लैब बिना किसी सैंपल या जांच के थमा रही हैं निगेटिव रिपोर्ट
दो दिन पहले गुजरात में भी कोरोना जांच में चौंकाने वाला गोरखधंधा सामने आया था। यहां सूरत में निजी लैब सिर्फ पैसे लेकर मनचाही रिपोर्ट दे रहे हैं। न सैंपल लिया जा रहा है, न जांच हो रही है। यहां तक कि जिसकी जांच होनी है वह व्यक्ति भी उत्तर प्रदेश या बिहार जैसे किसी राज्य में बैठा है। सिर्फ उसके नाम की निगेटिव रिपोर्ट बना दी जा रही है। इसका खुलासा करने के लिए भास्कर ने लगातार 10 दिन तक स्टिंग ऑपरेशन “पैसे दो, रिपोर्ट लो’ किया। सूरत की दो निजी लैब पर सौदा किया गया