(www.arya-tv.com)पूरी दुनिया के लिए आज कोरोनावायरस का इंडियन वैरिएंट (B.1.617) चिंता का विषय माना जा रहा है। किसी भी वायरस के लिए म्यूटेशन और नए वैरिएंट बनाना तो आम है, मगर वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोनावायरस में हो रहे म्यूटेशन पर वायरोलॉजिस्ट और जीनोम सीक्वेसिंग करने वाले लोगों के अलावा पब्लिक हेल्थ के लोगों को भी कड़ी नजर रखनी होगी।
नमूनों की सीक्वेसिंग में खतरनाक म्यूटेशन देखा गया है, इस पर सरकार को ध्यान रखने की जरूरत है ताकि क्षेत्र विशेष के लिए अलग रणनीति बनाई जा सके और क्षेत्र को सील कर वायरस को सीमित रखा जा सके।
इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बैलियरी साइंसेज की वायरोलॉजिस्ट प्रो. एकता गुप्ता का कहना है कि जितनी बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं उसको देखते हुए बड़ी संख्या में नमूनों की जीनोम सीक्वेसिंग जरूरी है। कौन सा म्यूटेशन गंभीर हो सकता है, इसकी जांच में 4-5 माह का समय लग रहा है। लिहाजा जीनोम सीक्वेंसिंग में तेजी लाने की जरूरत है। हर क्षेत्र के नमूनों की उसी क्षेत्र की लैब में जीनोम सिक्वेंसिंग होनी चाहिए।
भारत की आबादी ज्यादा- यहां म्यूटेशन भी ज्यादा होंगे
कोविड-19 पर बने आईसीएमआर टास्कफोर्स के सदस्य डाॅ. प्रो. एनके अरोड़ा का कहना है कि वायरस जितनी अधिक आबादी में घूमेगा, उतना ज्यादा म्यूटेशन होगा। भारत में ज्यादा मरीज आ रहे हैं लिहाजा यहां म्यूटेशन भी ज्यादा होगा। लेकिन हर म्यूटेशन महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि ज्यादातर म्यूटेशन खुद ही खत्म होते जाते हैं।
यदि गंभीर म्यूटेशन एक जगह से दूसरी जगह घूमने लगे तो मामला गंभीर है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार सिंह ने बताया कि दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार वैरिएंट 50% ज्यादा संक्रामक और बीमारी में गंभीरता वाला है, लेकिन अब इसमें कमी देखी जा रही है।
तीन बातों से जानते हैं म्यूटेशन की गंभीरता
1. क्या यह म्यूटेशन बीमारी को ज्यादा गंभीर करता है? 2.यह म्यूटेशन कितना संक्रामक है, अर्थात कितनी तेजी से फैल रहा है? 3.क्या म्यूटेशन पर वैक्सीन कारगर है?
अभी तक भारत में 18,353 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई है, जिसमें 3000 से ज्यादा म्यूटेशन देखे गए हैं। पूरे विश्व में अभी तक 13.38 लाख से ज्यादा म्यूटेशन देखे गए हैं।
कॉपी बनाने में हर बार वायरस खुद को बदलता है…यही म्यूटेशन
वायरस मानव शरीर में खुद की कॉपी तैयार कर संख्या बढ़ाता जाता है। हर नई कॉपी मूल वायरस से कुछ अलग होती है। इसी बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर जो म्यूटेशन सबसे ज्यादा हावी हो पाता है वही बढ़ता है।
यह व्यक्ति किसी दूसरे को नए म्यूटेशन से संक्रमित करता है। ये बदलाव वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग में ही दिखता है। वायरस की प्रकृति समझने और उस पर काबू पाने के लिए बदलाव को समझना जरूरी है।