कोई दूसरा देश, हम पर सबको साथ लेकर सरकार बनाने का दबाव नहीं डाल सकता

## International

(www.arya-tv.com)अफगानिस्तान की हूकूमत पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। तालिबान ने बड़ा भाई बनने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान को दो टूक लफ्जों में बता दिया है कि समावेशी सरकार के लिए उस पर दबाव नहीं डाला जा सकता।

तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने सोमवार को एक सवाल के जवाब में साफ कहा- पाकिस्तान या कोई दूसरा देश हमें यह नहीं बता सकता कि हम किसी तरह की सरकार बनाएं। दो दिन पहले ताजिकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में एससीओ समिट के दौरान इमरान ने कहा था कि वो तालिबान से बातचीत कर रहे हैं ताकि वो अफगानिस्तान में सबको साथ लेकर एक समावेशी सरकार बनाए।

तालिबान पर दबाव
अफगानिस्तान में तालिबान की जबरिया हुकूमत कायम होने के बाद कई देशों ने उससे ऐसी सरकार बनाने को कहा है जिसमें पश्तूनों के अलावा हजारा, ताजिक और उज्बेक समुदाय के लोग या प्रतिनिधि भी शामिल हों। तालिबान ने ऐसी सरकार का वादा भी किया था। इमरान पिछले हफ्ते दो कदम आगे निकल गए और उन्होंने कहा- मैं तालिबान से बातचीत कर रहा हूं। उससे कहा गया है कि वो समावेशी सरकार बनाए।

इमरान का बयान पसंद नहीं आया
तालिबान को इमरान का यह बयान नागवार गुजरा। सोमवार को जब इस बारे में तालिबान प्रवक्ता और डिप्टी इन्फॉर्मेशन मिनिस्टर जबीउल्लाह मुजाहिद से इमरान के बयान पर रिएक्शन मांगा गया तो उनका लहजा तल्ख हो गया। मुजाहिद ने कहा- पाकिस्तान हो या कोई दूसरा देश। उसके पास यह हक बिल्कुल नहीं है कि वो हमें अपनी सरकार के गठन के बारे में आदेश दे। इस्लामिक अमीरात की सरकार समावेशी होगी या कैसी होगी, ये हम तय करेंगे।

मुजाहिद के बयान के पहले तालिबान के एक और नेता मोहम्मद मुबीन ने भी इमरान के बयान पर नाराजगी का इजहार किया था। मुबीन ने कहा था- बाहर से कोई भी अफगानिस्तान और तालिबान की हुकूमत को नहीं चला सकता। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो मुल्क हमारा पड़ोसी है या कोई और।

जासूसी तो नहीं करना चाहते?
मुजाहिद का लहजा और बयान काफी नाराजगी भरा था। समावेशी सरकार के सवालों पर वो उखड़ गए थे। उन्होंने कहा- क्या समावेशी सरकार के जरिए हमारे पड़ोसी ये चाहते हैं कि हम उनके पसंद के लोगों को सरकार में शामिल कर लें और वो यहां आकर जासूसी करने लगे।

बहरहाल, तालिबान नेताओं के बयानों से यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि वो अफगानिस्तान में समावेशी सरकार नहीं चाहते, भले ही दुनिया उन पर इसके लिए कितना भी दबाव क्यों न डाले। हालांकि, पहले उन्होंने इसका वादा किया था।