अफगानिस्तान ने किया था पाकिस्तान NSA का अफगान दौरा रद्द

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(www.arya-tv.com)पाकिस्तान के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर मोईद यूसुफ का अफगानिस्तान दौरा पहले टला और अब रद्द ही हो गया। यूसुफ को इसी हफ्ते एक डेलिगेशन के साथ काबुल जाना था। पाकिस्तान की तरफ से कहा गया था कि खराब मौसम के चलते मोईद का दौरा टाला गया है, लेकिन पाकिस्तान के दो जर्नलिस्ट्स ने इमरान सरकार के दावे की धज्जियां बिखेर दीं। इन्होंने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा- अफगानिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ बेहद नफरत है। यूसुफ के दौरे के पहले ही वहां बड़ी तादाद में लोग एयरपोर्ट पर जुट गए थे। बदनामी की वजह से पाकिस्तान ने यह दौरा रद्द किया।

अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत को भी मंजूर नहीं
पाकिस्तान के दो जर्नलिस्ट्स कमर चीमा और फखर यूसुफजई ने इमरान सरकार और विदेश मंत्रालय के झूठ को अपने यूट्यूब चैनल पर बेनकाब किया है। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक- पाकिस्तान के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर मोईद यूसुफ को बीते सोमवार को काबुल जाना था। यूसुफ और उनके साथ बाकी अफसर प्लेन में बोर्ड कर चुके थे। इस्लामाबाद से काबुल पहुंचने में महज 25 मिनट लगते हैं।

फखर कहते हैं- मोईद को फ्लाइट में बोर्ड होने के बाद बताया गया कि काबुल एयरपोर्ट के बाहर हजारों लोग पाकिस्तान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में उनका वहां जाना अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत को भी मंजूर नहीं था। लिहाजा, यह दौरा ही पहले पोस्टपोन और बाद में कैंसल कर दिया गया। पाकिस्तान सरकार ने नाक बचाने के लिए कहा कि काबुल में मौसम खराब था।

 हमारे पास अपने एक्सपर्ट्स मौजूद
इमरान खान ने खुद तालिबान हुकूमत को ऑफर दिया था कि वो अफगानिस्तान में सरकारी विभागों में नए सेटअप के लिए पाकिस्तान से एक्सपर्ट्स भेजना चाहते हैं। इसका जवाब तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने दिया। उन्होंने कहा- हमारे पास अपने एक्सपर्ट्स मौजूद हैं। वे यह काम कर लेंगे। पाकिस्तान में सरकार कैसे बनी और कैसे चल रही है, ये छिपी हुई बात नहीं है। मुजाहिद का इशारा इमरान सरकार को फौज की बैसाखियों के बारे में था।

तालिबान का प्रवक्ता बनने से बाज आना चाहिए
कमर चीमा के मुताबिक- अब पाकिस्तान को अफगानिस्तान और तालिबान का प्रवक्ता बनने से बाज आना चाहिए। इसकी वजह से मुल्क की भरपूर बेईज्जती हो रही है। तालिबान हुकूमत किसी सूरत पाकिस्तान की मदद नहीं चाहती और इमरान सरकार बेगानी शादी में अब्दुल्ला बनने पर आमादा है।

वहीं, फखर यूसुफजई कहते हैं- तालिबान नालायक नहीं हैं। उन्हें पता है कि अगर पाकिस्तान की मदद ली गई तो दुनिया के दूसरे मुल्क उनसे नाराज हो जाएंगे। दूसरी बात, पाकिस्तान वहां ISI या NSA को ही वहां क्यों भेजती है? अगर इतना ही प्यार है तो फिर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी या इमरान खान वहां क्यों नहीं जाते। काबुल में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन की कमाम एक महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता आजिम अजीमी कर रही हैं। दुनिया में अजीमी की आवाज सुनी जाती है।