दुनिया की लाखों महिलाएं जूझ रहीं अजब समस्या से, सुबह के 3:29 बजे अचानक खुल जाती आंख

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(www.arya-tv.com) क्या आप भी उन महिलाओं में से हैं जो सुबह के ठीक 3:29 मिनट पर जाग उठती हैं? अगर हां तो बता दें कि आप ऐसी इकलौती महिला नहीं हैं बल्कि ऐसी लाखों औरतें हैं जो रात को सो तो जाती हैं लेकिन आधी रात गुजरने के बाद सुबह होने से थोड़ा पहले यानी आमतौर पर 3:29am पर अचानक चौंककर उठ जाती हैं. यह पौ फटने से थोड़ा पहले का समय है लेकिन रात इस समय तक बीत चुकी होती है. यह मामला कोई भूत प्रेत (paranormal) बाधा का नहीं है जैसा कि इस अजीबोगरीब पैटर्न को देख-सुनकर लगने लगता है. दरअसल सुबह तीन बजकर 29 मिनट पर दसियों लाख औरतें सोते-सोते अचानक उठ जाती हैं और इसकी वजह है स्वास्थ्य और उम्र से जुड़ी हुई समस्या.

नई रिसर्च बताती है कि मेनोपॉज से गुजर रही महिलाएं आमतौर पर रात के इस खास समय पर उठ जाती हैं. डनल्म (Dunelm) द्वारा हाल ही में किए गए एक शोध के मुताबिक, मेनोपॉज (Menopause) से गुजर रहीं और मेनोपॉज का समय शुरू होने से थोड़ा पहले महिलाओं में होने वाले परिवर्तनों में जो सबसे ज्यादा कॉमन चीज पाई गई वह था उनका रात के इस खास समय पर जाग उठना. ऐसा तीन चौथाई ऐसी महिलाओं में देखा गया जो रजोनिवृत्ति और पेरीमेनोपॉज के फेज़ से गुजर रही थीं. पेरीमेनोपॉ यानी कि जब मेनोपॉज का दौर शुरू होने वाला हो. इसे रजोनिवृत्ति अनिद्रा यानी menopausal insomnia कहा जाता है और इससे लाखों औरतें पीड़ित हैं. मेट्रो डॉट को डॉट यूके ने इस रिपोर्ट को विस्तार से छापा है.

हर साल 18 अक्टूबर को विश्व रजोनिवृत्ति दिवस (World Menopausal Day) मनाया जाता है. इस मौके पर जारी शोध में पाया गया कि दो तिहाई (69%) से अधिक महिलाओं ने कहा कि मेनोपॉजल इन्सॉमनिया का उनकी इमोशनल हेल्थ पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. हर दो में से एक महिला (50%) को यह नहीं पता होता कि अपने रजोनिवृत्ति के लक्षणों से कैसे निपटना है. मेनोपॉज के दौर से गुजर रहीं 59 फीसदी औरतों का कहना रहा कि वे इसके साथ आने वाले अजीबोगरीब और कई बार तकलीफदेह लक्षणों को संभालने के लिए खुद को तैयार महसूस नहीं करती हैं. जबकि आधी महिलाओं का कहना है कि उन्हें ऐसा कभी नहीं लगा कि ये जो हो रहा था वह मेनोपॉजल इन्सॉमनिया था और ऐसा कुछ उनके साथ हो भी सकता है.

इस शोध में पाया गया कि 60 फीसदी औरतों को यह नहीं पता था कि रात के इस समय यानी 3 बजकर 29 मिनट पर उठने या बार बार नींद को लेकर समस्या महसूस करने की दिक्कतों को लेकर वह कुछ उपाय भी कर सकती हैं यानी इसे हैंडल किया जा सकता है. इसका सीधा सा मतलब यह है कि औरतें इन दिक्कतों से जूझती जी रही हैं और इस बारे में उन्हें कोई मदद भी नहीं मिलती.

मेट्रो डॉट को डॉट यूके की रिपोर्ट कहती है कि स्मार्ट फोन गैजेट्स और कई बार लाइफस्टाइल संबंधी कई आदतें ऐसी हैं कि नींद एक दूर की कौड़ी बनी रहती है, सर्वे को लेकर छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक, उदाहरण के लिए, सर्वे में शामिल 30% औरतों ने सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग पर फोकस किया जबकि 20% औरतों ने यूं जग जाने पर टेलीविजन ऑन करके नींद आने का इंतजार किया, जबकि 17 फीसदी औरतों ने बस बिस्तर पर पड़े रहकर फिर से नींद आने का इंतजार किया.

मेनोपॉज में होने वाली दिक्कतें और लक्षण

ब्रिटिश मेनोपॉज सोसायटी की मेडिकल अडवायजरी कमेटी के मेंबर और माई मेनोपॉज सेंटर के को-फाउंडर डॉक्टर क्लेयर स्पेन्सर ने कहा कि रजोनिवृत्त महिलाओं को एक तो सोने में ही दिक्कत आती है और फिर रात भर सोते रहने में भी, यानी दोनों ही मामलों में, वे काफी दिक्कत का सामना करती हैं. बता दें कि मेनोपॉज के कई लक्षणों में से कुछ ऐसे होते हैं जिनके बारे में आमतौर पर महिलाओं को पता नहीं होता कि यह उनकी मेनोपॉजल फेज के कारण हैं. जैसे कि छाती में दर्द, ब्रेस्ट टेंडरनेस, खुजली, ड्राइ स्किन, पिंपल्स, रोने की बार बार इच्छा, ब्रेन फॉग, भूलने की दिक्कत होने लगना, टेंशन, पीएमएस (PMS) में गड़बड़ होने लगना, आधासीसी का दर्द यानी कि माइग्रेन होने लगना, वजाइना संबंधी दिक्कत होना जैसे कि वजाइना ड्राइनेस, पेरों में दर्द, आंखों में दिक्कत, कब्ज, थकान, रात को पसीना आना, मसूड़े के रोग हो जाना.

महिलाएं करें आदतों में ये बातें शामिल

एक अच्छी नींद के लिए रजोनिवृत्ति से गुजर रहीं औरतें अपनो सोने जाने का समय निर्धारित करें. सुबह सोकर उठने के बाद बाहर टहलने जाएं. सोने जाने से कम से कम 1 घंटा पहले स्क्रीनटाइम कम कर दें यानी कि स्मार्टफोन का यूज बंद कर दें. रोज एक फिक्स्ड समय पर सोने जाएं और हो सके तो सुबह भी फिक्स समय पर उठें.