घर में पड़ा लोहे का सामान हो जाता है कबाड़, फिर रेल की पटरियों पर क्‍यों नहीं लगता जंग

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(www.arya-tv.com) अगर लोहे को किसी एक ही जगह पर खुले में छोड़ दिया जाए तो बहुत जल्‍दी जंग पकड़ लेता है. इससे अच्‍छी से अच्‍छी चीजें बर्बाद होकर कबाड़ में तब्‍दील हो जाती हैं. वहीं, स्‍टील से बनीं ट्रेन की पटरियां सालों साल खुले में पड़े रहने के बाद भी जंग नहीं पकड़ती हैं. आपने कभी सोचा है कि आपके घर में रखी अच्‍छी से अच्‍छी स्‍टील बनीं चीजें जंग खाकर बर्बाद क्‍यों हो जाती हैं और पटरियां बारिश, धूप, कोहरे और नम हवाओं में रहने के बाद भी जंग क्‍यों नहीं पड़ती हैं?

सबसे पहले समझते हैं कि लोहे पर जंग क्‍यों लगता है. दरअसल, जब स्टील या स्टील से बने सामान ऑक्सीजन और नमी के संपर्क में आते हैं तो उन पर भूरे रंग की परत जम जाती है. ये परत आयरन ऑक्साइड की होती है. स्‍टील के सामान पर इस परत के जमने को ही जंग लगना कहते हैं. इससे स्‍टील धीरे-धीरे गलने लगती है और सामान खराब हो जाता है. अब सवाल ये उठता है कि स्‍टील से ही बनी रेल की पटरियां ऑक्‍सीजन और नमी के लगातार संपर्क में रहने के बाद भी जंग पकड़कर खराब क्‍यों नहीं होती हैं? क्‍या पटरियों का स्‍टील किसी खास तरह का होता है?

क्‍या आम स्‍टील से बनाई जाती हैं पटरियां
भारत में रेलवे परिवहन का सबसे बड़ा जरिया माध्यम है. देश में हर दिन ढाई करोड़ से ज्‍यादा लोग ट्रेन से अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं. भारत में रेलमार्ग की लंबाई करीब सवा लाख किमी है. ऐसे में रेलवे ट्रैक का दुरुस्‍त रहना बेहद जरूरी है. अगर रेल पटरियां जंग पकड़ेंगी तो कमजोर होने लगेंगी और इससे दुर्घटना होने का खतरा बहुत ज्‍यादा बढ़ जाएगा. लिहाजा, रेल की पटरियां बनाने के लिए विशेष धातु का इस्तेमाल किया जाता है. रेल की पटरियां सामान्‍य स्‍टील से नहीं बनती हैं. इसके मेटल में जंग नहीं लगती है.

किस धातु से बनती हैं रेल की पटरियां
रेल की पटरियां खास किस्म के स्टील से बनाई जाती हैं, जिसे मैगनीज स्‍टील कहते हैं. इसे स्टील और मेंगलॉय को मिलाकर बनाया जाता है. फिर मैगनीज स्‍टील से ट्रेन की पटरियां बनाई जाती हैं. मैगनीज स्‍टील में 12 फीसदी मैगनीज और 0.8 फीसदी कार्बन का मिश्रण भी होता है. स्टील और मेंगलॉय के इस मिश्रण को मैगनीज स्टील कहा जाता है. इस वजह से पटरियों पर ऑक्सीडेशन का असर नहीं होता है. लिहाजा, कई वर्षों तक रेल की पटरियों में जंग नहीं लगता है.

क्‍यों खास मेटल का किया जाता है इस्‍तेमाल
रेलवे की पट‍रियों को लोहे से तैयार किया जाता तो बारिश के कारण इनमें नमी बनी रहती और जंग लग जाता. ऐसा होने पर पटरियां कमजोर होने लगतीं और इन्‍हें जल्‍दी बदलना पड़ता. वहीं, जंग लगने पर पटरी कमजोर होने से दुर्घनाओं का जोखिम भी बढ़ जाता. इसलिए पटरियों को मैगनीज स्‍टील से बनाया जाता है. भारतीय रेलवे ट्रैक 115,000 किमी से ज्‍यादा लंबे क्षेत्र में फैला हुआ है. भारतीय रेलवे ट्रैक की लंबाई 67,368 किमी है.